रोचक व शिक्षाप्रद प्रसंगों के माध्यम से जीवन को सुखमय के बदले आनंदमय बनाएं : कुलदीप आचार्य

रोचक व शिक्षाप्रद प्रसंगों के माध्यम से जीवन को सुखमय के बदले आनंदमय बनाएं : कुलदीप आचार्य

खैला में चल रही है सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा
 
संवाददाता शशि धामा

खेकड़ा।खैला गांव में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा में आचार्य कुलदीप महाराज ने कथा करते हुए महाभारत पाठ को लेकर चर्चा की तथा विभिन्न प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

खैला गांव में तंवर स्वच्छ पर्यावरण संस्था के तत्वाधान में हो रही श्रीमद्भागवत कथा मे आचार्य कुलदीप महाराज ने कहा कि,राजा परीक्षित की कथा महाभारत व श्रीमद्भागवत पुराण सहित कई पौराणिक ग्रंथों में भी आती है। इनके जन्म और मृत्यु दोनों की ही कथा बहुत प्रसिद्ध है। पांडवों का वंश समाप्त करने के लिए अश्वत्थामा ने इन्हें गर्भ में ही मारने के लिए ब्रह्मस्त्र चला दिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें जीवन दान दिया था। पर, अंत में इनकी मृत्यु एक श्राप के कारण तक्षक नाग के काटने पर हुई। 

बताया कि, युद्ध में कौरवों ने पांडवों के सारे पुत्रों का वध कर दिया था, तब उनका एकमात्र वंशधर अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा था। पांडवों के पूरे वंश को खत्म करने के लिए कौरवों के साथी अश्वत्थामा ने उस गर्भस्थ बालक पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया था।इस दौरान व्यासपीठ से रोचक व भक्तिपूर्ण प्रसंगों के माध्यम से जीवन को सुखमय के बदले आनंदमय करने के लिए भगवद् भक्ति का आह्वान किया।