चित्रकूट- ब्रह्माकुमारीज चित्रकूटधाम ने ग्रामोदय ’विश्वविद्यालय में आध्यात्मिक व्याख्यान का किया आयोजन।
चित्रकूट: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय चित्रकूटधाम शाखा द्वारा स्थानीय ग्रामोदय विश्वविद्यालय में आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ और स्वस्थ समाज उपक्रम में शिक्षा का योगदान विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी दुर्गेश नंदिनी ने कहा कि आज मानव स्वयं को भूला हुआ है। वह स्वयं को विनाशी और विषय विकारी देह मान बैठा है। इसीलिए हमारे विचार क्रोध, अहंकार, घृणा, द्वेष आदि विकारों व दुर्गुणों से ग्रस्त हैं। चित्किसा विज्ञान की खोजों में ज्ञात हुआ है कि आज शरीर की अधिकांश बीमारियों की उत्पत्ति का मूल कारण हमारा मानसिक तनाव व चिताएं ही है। जब व्यक्ति का तन और मन रूण होता है तो वातावरण और परिवेश में भी अस्वच्छता तथा मलीनता आ जाती है। अस्वच्छता का अर्थ सिर्फ बाह्य गंदगी से नहीं है अपितु आज हम देख रहे हैं कि समाज और परिवार में आपसी सम्बन्धों में अहम, वहम, ईर्ष्या, घृणा, बदले की भावना आदि मानसिक या वैचारिक दुर्बलता अथवा अशुद्धि के कारण परस्पर, झगडे, लडाई बढ रहे हैं। आपसी ताल मेल और समायोजन में कठिनाई आ रही है। इसलिए आज का समाज अस्वस्थ होता जा रहा है। इसलिए हमें संसार के इस अटल सत्य को समझना होगा कि वास्तव में हम सभी परम पवित्र और सर्व शक्तिवान परमात्मा की संतान पवित्र स्वरूप, शांति और शक्ति स्वरूप आत्मा हैं जो अजर अमर व अविनाशी है। देहाभिमान और देह भान को भूलकर हमें स्वयं तथा सर्व को चैतन्य आत्मा समझने की आवश्यकता है। साथ ही राजयोग ध्यान द्वारा आत्मा का सशक्तिकरण, शुद्धिकरण और दिव्यीकरण करने की जरूरत है। जब हम स्वयं को बिंदु रूप अमर आत्मा समझ कर परमज्योति सर्व शक्तिवान परमपिता परमात्मा शिव से मन और बुद्धि का सान्निध्य स्थापित करते हैं, तो उनसे दिव्य गुण और दिव्य शक्तियां हमारी आत्मा में समाहित होने लगती हैं। इस प्रकार ही आत्मा का सशक्तिकरण और शुद्धिकरण होता है। सशक्त और पवित्र आत्मा जिस अपने संसर्ग से अन्य आत्माओं को भी सशक्त और पवित्र बना देती है। आस पास का वातावरण और परिवेश भी पवित्र, शुद्ध और सशक्त बन जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग ध्यान को अपना कर हम स्वच्छ और स्वस्थ समाज के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान करें।
इस मौके पर डा श्याम गौर, डाॅ प्रमोद शुक्ला, डा नीलम सिंह आदि मौजूद रहे।