पुरातत्व विभाग के महानिदेशक ने की पारस प्रभु की पूजा ,मंदिर समिति ने की जैन मूर्ति संग्राहलय की मांग

पुरातत्व विभाग के महानिदेशक ने की पारस प्रभु की पूजा ,मंदिर समिति ने की जैन मूर्ति संग्राहलय की मांग

ग्रामीणों की मांग: बडागांव को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए

संवाददाता शशि धामा

खेकड़ा।पुरातत्व विभाग के महानिदेशक टीम के साथ शनिवार को पारस प्रभु अतिशय क्षेत्र बड़ागांव पहुंचे तथा पूजा अर्चना की। उन्होंने ग्रामीणों और मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों से गांव और त्रिलोक तीर्थ के महत्व की जानकारी भी ली।मंदिर कमेटी ने उनसे मंदिर परिसर में जैन मूर्ति संग्रहालय बनवाने की मांग की।

धर्मानगरी बड़ागांव की धरती बड़ी ही पावन धरती है। वहां का त्रिलोक तीर्थ तो विश्व के अनूठी कीर्ति में शामिल है।शनिवार को पुरातत्व विभाग के महानिदेशक यदुवीर सिंह टीम के साथ वहां पहुंचे।उन्होंने पारस प्रभु के प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर, त्रिलोक तीर्थ और साधु वृत्ति आश्रम में भ्रमण किया तथा उनकी गतिविधियों को बारीकी से जाना व महत्व को भी जाना।

इस अवसर पर त्रिलोक तीर्थ कमेटी के पदाधिकारी त्रिलोक जैन, महेंद्र जैन, श्यामलाल जैन, प्रवीन जैन, इंद्रेश जैन, प्रदीप कुमार, संजीव जैन आदि ने बताया कि, बड़ागांव पारस प्रभु का अतिशय क्षेत्र है। 1922 में यहां टीले की खुदाई मे पारस प्रभु की प्राचीन चमत्कारी प्रतिमा मिली थी। तभी इस प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर का निर्माण कराया गया था। उसमें पारस प्रभु की उस प्रतिमा को विराजमान किया गया था, जो टीले की खोदाई में मिली थी। बताया गया कि, ब्रह्मलीन आचार्य सन्मति सागर जी महाराज ने यहां विश्व की अनोखी कृति त्रिलोक तीर्थ का निर्माण कराया। देश के साथ ही विदेशी भी आज यहां दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। इसलिए क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र बनाया जाए। उन्होंने त्रिलोक तीर्थ परिसर में जैन मूर्ति संग्रहालय का भी निर्माण कराये जाने की मांग की।

 महानिदेशक ने ग्रामीणों से भी गांव के ऐतिहासिक महत्व को जाना। इस अवसर पर ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि, गांव का मां मंशा देवी मंदिर काफी प्राचीन है। इससे लंका पति रावण का नाता है ,इसलिए राजस्व रिकॉर्ड में बड़ागांव का नाम रावण उर्फ बड़ागांव के रूप में दर्ज है। ग्रामीणों ने भी उनसे गांव को पर्यटन स्थल बनाने की मांग की।महानिदेशक ने मांग पूरी कराने का आश्वासन दिया।