ज़कात अदा करना फ़र्ज़ है चंद जरूरी बातें:- मुफ्ती मुहम्मद थानवी

ज़कात अदा करना फ़र्ज़ है चंद जरूरी बातें:- मुफ्ती मुहम्मद थानवी

ज़कात अदा करना फ़र्ज़ है चंद जरूरी बातें:- मुफ्ती मुहम्मद थानवी

-जिस तरह नमाज फर्ज है उस तरह ही जकात भी फर्ज है।

ज़कात इस्लामी फर्जो़ में से दुसरा अहम तरीन फर्ज़ हें यह सन् 02 हिजरी में रोजों से पहले फ़र्ज़ हुई है इसके बारे में कुरआन पाक की बहुत सी आयात और पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब की बहुत सी हदीसें मौजुद है, अल्लामा शामी रह० ने फरमाया कुरआन शरीफ में तकरीबन 32 जगह नमाज़ के फोरन बाद ज़कात का ज़िक्र हुआ है लिहाज़ा जिस तरह नमाज़ फर्ज़ हे इसी तरह ज़कात भी फर्ज़ हें।रमज़ान उल मुबारक के महीने में मुसलमान अपनी ज़कात निकालते हें और गरीबों को देते हें, इस सिलसिले में ज़कात के अलावा उलामा ए किराम ने यह भी अपील की हें कि ईद पर जो खरीद दारी हम करते हैं इस बार उन पैसों को गरीब मज़दूर और अपने मस्जिदों के इमाम वगैरह पर खर्च किया जाएं शरीयत में ईद पर नऐं कपड़े बनाना ज़रूरी नहीं है, ज़कात की जहां तक बात हें
हर मुसलमान अक्लमंद बालिग़ साहिबे निसाब ( जिसकी मिल्कियत में साढ़े सात तोला सोना जिसका वज़न आज के ग्राम के हिसाब से 87 ग्राम 479 मिलीग्राम होता है ) या साढ़े बावन तोला चांदी ( जिसका वज़न आज के ग्राम के हिसाब से 612 ग्राम 35 मिलीग्राम होता है) या इसके बराबर रूपया पैसा या तिजारत का सामान हो तो उस पर ज़कात फ़र्ज़ हें,अगर किसी के पास सोना चांदी नगद रक़म और तिजारत का सामान यह चारों चीजें मिलकर या इनमें से चंद चीजें मिलकर 612 ग्राम 35 मिलीग्राम चांदी की क़ीमत के बराबर हो जाए तो उस पर ज़कात फ़र्ज़ है। सोना चांदी चाहे सिक्के की शक्ल में हो या जे़वर की शक्ल में हो और ज़ेवर इस्तेमाल हो रहा हो या युं ही रखा हुआ हो उस पर भी ज़कात फ़र्ज़ है   ज़कात अदा ना करने पर कुरआन और हदीस शरीफ़ में सख्त हिदायत दी गई है।
कुरआन में अल्लाह तअआला इरशाद फरमातें हैं : जो लोग सोना चांदी को जमा करके रखते हैं और उनको अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते आप उनको एक बड़े दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो, जिस दिन उस दोलत को जहन्नम की आग में तपाया जाएगा फिर उस से उन लोगों की पैशानियां और  उनकी करवटें और पीठें दागी जाएगी और कहा जाएगा कि यह है वह खज़ाना जो तुमने अपने लिए जमा किया था ! अब चखों उस ख़ज़ाने का मज़ा जो तुम जोड़ जोड़ रखा करते थें।
मालूम हुआ जिस तरह नमाज़ फर्ज़ हे इसी तरह ज़कात भी फर्ज़ है।