पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के हिंदी सलाहकार समिति की बैठक दिल्ली में संपन्न

पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के हिंदी सलाहकार समिति की बैठक दिल्ली में संपन्न

  राष्ट्र को सुदृढ बनाने के लिए हिंदी का उपयोग जरूरी है। जो भाषा देश में सबसे अधिक बोली जाती है, उस भाषा में काम करने से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है। जन जन तक पहुंचने के लिए जन भाषा का प्रयोग जरूरी है। आज हिंदी जनभाषा बनी हुई है। महात्मा गांधी ने भी देशवासियों से हिंदी का उपयोग करने की अपील की थी। उपरोक्त बातें विज्ञान भवन दिल्ली में आयोजित पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के हिंदी सलाहकार समिति की बैठक को संबोधित करते हुए राज्यमंत्री बीएल वर्मा ने कहीं।


बैठक का प्रारंभ समिति के सदस्यों के स्वागत से हुआ। बैठक की अध्यक्षता कर रहे पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने सदस्यों को पूर्वोत्तर का जनजातीय दुपट्टा ओढ़ा कर सम्मान किया। तत्पश्चात बैठक में उपस्थित सदस्यों और पदाधिकारियों का परिचय दिया गया। मंत्रालय के सचिव लोकरंजन जी ने स्वागत वक्तव्य दिया। संयुक्त सचिव अनुराधा जी ने मंत्रालय और उससे संबद्ध संस्थाओं के द्वारा राजभाषा अनुपालन की स्थिति की जानकारी दी तथा पिछली बैठकों का प्रतिवेदन पढ़ा।

राज्यमंत्री श्री वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपील किया है कि आगामी अमृत काल में देश को भाषाई दासता से मुक्त कराना है। उन्होंने कहा कि 14 सितंबर को सूरत में आयोजित राजभाषा सम्मेलन में तेजस्वी गृह मंत्री अमित शाह जी ने बताया कि हिंदी के साथ स्थानीय भाषाओं की कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। हिंदी स्थानीय भाषाओं की सखी है, हिंदी की समृद्धि से स्थानीय भाषाओं की समृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर की आबादी देश का 3.8 प्रतिशत है जबकि भौगोलिक हिस्सा लगभग 8% है। प्रधानमंत्री जी ने पूर्वोत्तर के विकास के लिए 10% राशि आरक्षित की है, एक कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री दिया है। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर के कायाकल्प का संकल्प लिया है। विभिन्न क्षेत्रों में इसका प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है, पिछले 8 वर्षों में सड़क, रेल, वायू कनेक्टिविटी बढ़ी है। प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर प्लस सिक्किम को अष्टलक्ष्मी कहा है।

श्री वर्माजी ने बताया कि हिंदी खंड को समृदू करने के लिए पांच विश्वविद्यालय और 37 कॉलेजों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। जो राज्य हिंदी की शिक्षा दे रहे हैं और हिंदी का उपयोग कर रहे हैं, उनका विकास हो रहा है। जब तक व्यक्तिगत और व्यवहारिक जीवन में हिंदी को आत्मसात नहीं करते हैं तब तक उन्नति में बाधा बनी रहेगी। आज की बैठक के बाद हिंदी के प्रयोग में और गति लाने का प्रयास किया जाएगा।

राजभाषा हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ अनिल जैन ने हिंदी सलाहकार समिति की बैठक में रखे  कुछ महत्वपूर्ण सुझाव
कोरोना के कारण जो पांच साल का अंतराल हुआ है उसको पूरा करने के लिए चार या पांच समिति बैठक इस वर्ष करने का निर्देश देने की कृपा करे हिंदी भाषा के विकास के लिए कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाएl पूर्वोत्तर राज्यों में कक्षा 1 से लेकर 10 तक हिंदी भाषा की अनिवार्यता पर ध्यान दिया जाए सभी कार्यालयों में कंप्यूटर पर हिंदी में डाटा उपलब्ध होl गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग जो कार्यक्रम बनाता हैl राजभाषा के लिए उसके सभी बिंदुओं का पालन किया जाए 
 जितनी भी निगमों की और मंत्रालय की वेबसाइड है वो हिंदी भाषा में होना चाहिए जिससे पुरे भारत में पहुंच सके. और भी अनेक सुझाव डॉ अनिल जैन द्वारा राजभाषा हिंदी को जनप्रिय लोकप्रिय एवं वैश्विक भाषा बनाने के लिए दिए गए