सतर्क रहें सावधानी बरतें कहीं चेहरे का रंग न बिगाड़ दे मिलावटी रंग।
परविंद्र कुमार जैन।होली में रंगों का महत्व अहम हैं। बिना रंग के इस पावन पर्व के मायने नहीं हैं। वहीं अगर यही रंग घटिया क्वालिटी के है तो जरा ध्यान रखें। चर्म रोग, आंखों में जलन और सिरदर्द से होली के रंग में भंग पड़ सकता है। लिहाजा सुरक्षित होली खेलें और त्योहार का लुत्फ उठाएं।
_सिर्फ गुलाल रंग ही बेहतर_
समाजसेवी जितेंद्र राठी ने सभी नगर वासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि होली में सिर्फ गुलाल रंग ही सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि गुलाल गुलाब की पत्तियों से बनता है। इसमें मिश्रण नहीं होता।शेष रंगों में जिंक, सिलिकॉन और लैड की मिलावट संभव है।चाहे वह हर्बल ही क्यों न हो। हर्बल में भी इसकी मात्रा होती है। लेकिन कम। जितेंद्र राठी ने कहा कि केवल हर्बल कलर का इस्तेमाल करें।रंग लगाते समय आंखों में चश्मा ज़रूर पहनें और बार बार आंखों को स्वच्छ पानी से साफ करते रहें।बता दें कि होली के त्यौहार पर शिंथेटिक रंगों का बाजार सज गया है। बाजार में स्वदेशी सहित विदेशों में निर्मित सिंथेटिक रंगों को बेचा जा रहा है।यह रंग हर्बल के नाम पर चाइना में निर्मित रंग बताएं जा रहे हैं।रंग बिरंगे डिब्बे में पैक इन रंगों की पहचान करना मुश्किल है।वही समाजसेवी जितेंद्र राठी ने नागरिकों से अनुरोध करते हुए कहा कि होली खेलते समय चाइनीज रंगों से परहेज़ करें।यह रंग आंखों की रोशनी को खत्म कर सकतें हैं। आंखों में लेंस का प्रयोग करने वालों के लिए यह और भी ख़तरनाक साबित हो सकता है।बेहतर है आंखों पर चश्मा लगाकर होली खेलें। इससे आंखों से होने वाली एलर्जी, खुजली और लाली से बचाव रहेगा।यदि आंखों में रंग चला जाए तो साफ पानी से तुरंत आंख धो ले और गुलाबजल आंखों में डालें।