JNU में ब्राह्मणों के खिलाफ नारे पर भड़के मनोज मुंतशिर

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कई दीवारों पर जातिसूचक नारे लिखे जाने का विवाद बढ़ता जा रहा है।

JNU में ब्राह्मणों के खिलाफ नारे पर भड़के मनोज मुंतशिर

दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU Controversy) फिर से चर्चा में है। जेएनयू परिसर के अंदर दीवारों पर ब्राह्मण, बनिया विरोधी नारे लिखे गए हैं। यह विवाद बढ़ता ही जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए JNU प्रशासन ने इस पर संज्ञान ले लिया है। देश भर से इस मामले पर प्रतिक्रियाएं आ रहीं है। ये विवाद सोशल मीडिया से होते हुआ टीवी डिबेट तक पहुंच गया है। सभी अपनी-अपनी सहुलियत के हिसाब से इसे सही और गलत बताने में लगे हैं।

इसी बीच टीवी चैनल टाइम्स नाउ नवभारत से बात करते हुए गीतकार मनोज मुंतशिर शुक्ला (manoj muntashir) ने इस मामले पर खुलकर बात की है। उन्होंने कहा कि 1940 के आस पास जर्मनी में यहूदियों की हालत क्या थी, किस तरह से यहूदियों को दबाया जा रहा था। आज हालत वैसी ही है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बैठे वामपंथी सोच के लोग देश को खोखला करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे सोच वालों से मुकाबला करने की जरूरत है।

स्वरा भास्कर को लेकर क्या बोले मुंतशिर

इंटरव्यू के दौरान मनोज मुंतशिर (manoj muntashir) टाइम्स नाव नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार से बात करते हुए कहते हैं कि ‘मुझे बहुत दुख होता है, जब मैं रोजाना सोशल मीडिया पर बायकॉट बॉलीवुड ट्रेंड होते हुए देखता हूं। लेकिन मुझे ये भी पता है कि ये हैशटैग बेबुनियाद नहीं है। अगर यह फिल्म इंडस्ट्री ऋचा चड्ढा जिन्होंने गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों का अपमान किया, उनका बायकॉट नहीं कर सकती। जब यह इंडस्ट्री स्वरा भास्कर का बायकॉट नहीं कर सकती, जिन्होंने सीएए जैसे गंभीर मुद्दे पर पूरे देश को भड़का दिया। तो अगर बॉलीवुड का बहिष्कार किया जाता है तो कुछ गलत नहीं है।’

हमारे अंदर एकता की कमी है

आगे नाविका सवाल करती हैं कि जेएनयू की ‘एक पूर्व छात्रा रहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर हाल ही में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुईं थीं। जब वो ऐसा कुछ करती हैं तो ट्रोल नहीं होती, लेकिन वहीं कोई बीजेपी की तरफ आ जाए तो तूफान खड़ा हो जाता है, ऐसा क्यों?’ इस पर मनोज कहते हैं कि ‘हमारे अंदर एकता की कमी है। जब ब्राह्मण विरोधी नारे लिखे गए तो कितने लोगों ने आवाज उठाई। हमारी पहचान पर संकट है। हमारे अस्तिव पर संकट है। वामपंथी चाहते हैं कि हम चुपचाप सब कुछ सहते रहें। ऐसा नहीं हो सकता। वामपंथी विचारधारा के लोग एक तरह तो ढोंग करते हैं कि हम जात-पात में विश्वास नहीं रखते। दूसरी तरफ़ जाति के आधार पर ही टारगेट करते हैं।’

दीवारों पर लिखे गए ऐसे नारे

बता दें कि जेएनयू की दीवारों पर “ब्राह्मण कैंपस छोड़ो,” “वहां खून होगा,” “ब्राह्मण भरत छोड़ो,” और “ब्राह्मणों-बनिया, हम आपके लिए आ रहे हैं! हम बदला लेंगे।” जैसे नारे लिखे गए है।