एएमयू में रीडिंग रूम को हॉस्टल में बदलने पर छात्रों का विरोध

एएमयू में रीडिंग रूम को हॉस्टल में बदलने पर छात्रों का विरोध

अलीगढ़. यूपी के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में एक हॉस्टल खुद वहां के छात्रों को रास नहीं आ रहा है. विवाद इतना बढ़ा कि छात्र एएमयू प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ आमने-सामने के विरोध में उतर आए हैं.

दरअसल. एएमयू के संस्थापक के नाम से ऐतिहासिक छात्रावास सर सैयद हॉल (साउथ) के रीडिंग रूम को खत्म करके हॉस्टल बना दिया गया है. इसे लेकर छात्रों में गहरी आपत्ति और नाराजगी है. छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन से इसे दोबारा रीडिंग रूम बनाने की मांग कर रहे हैं.

छात्र हाफिज उर रहमान समेत अन्य स्टूडेंट्स का कहना है कि एएमयू प्रशासन ने गर्मियों की छुट्टियों में छात्रों से हॉस्टल ये कहकर खाली करवाए थे कि वहां रेनोवेशन का काम होगा. यूनिवर्सिटी खुलने के बाद हॉस्टल में रेनोवेशन का काम तो नहीं दिखाई दे रहा, लेकिन ऐतिहासिक हॉल सर सैयद (साउथ) का रीडिंग रूम हॉस्टल बना हुआ जरूर दिखाई दे रहा है. छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन से इसे दोबारा रीडिंग रूम बनाए जाने की मांग पर अड़े हैं.

छात्रों का तर्क
इस वक्त एएमयू में छात्र-छात्राओं के लिए 20 हॉस्टल हैं. हर छात्रावास में एक रीडिंग रूम है. फिलहाल सर सैयद साउथ हॉल के रीडिंग रूम को हॉस्टल में बदल दिया गया है. रीडिंग रूम के बाहर लगे पत्थर के मुताबिक 15 अगस्त 2018 को इस रीडिंग रूम का नवीकरण किया गया था, जिसका उद्घाटन पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर तारीख मानसूर ने किया था.

छात्रों का कहना है कि इस ऐतिहासिक रीडिंग रूम में कंप्यूटर रूम समेत पढ़ाई के लिए तमाम सहूलियतें मौजूद थीं. अगर इसी तरह हॉल से रीडिंग रूम खत्म किए जाएंगे तो फिर छात्र कहां बैठकर पढ़ेंगे. अगर छात्रों की संख्या बढ़ती है तो उनके रहने के लिए नए हॉस्टल बनाए जाएं या फिर वार्डन के खाली कमरों में छात्रों के रहने का इंतजाम किया जाए.

क्या बोला प्रशासन
वहीं, सर सैयद (साउथ) हॉल के प्रशासक डॉ. फारूक अहमद डार ने लोकल 18 को बताया कि हमने रीडिंग रूम को ऊपरी मंजिल में शिफ्ट कर दिया है. पुराने वाले रीडिंग रूम को हॉस्टल बना दिया है. यानी पहले जहां छात्र रहते थे, वहां रीडिंग रूम बना दिया है और जहां पहले रीडिंग रूम था वहां पर छात्रों के रहने के लिए हॉस्टल बना दिया है. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि छात्रों को रहने में परेशानी होती थी, जो अब नहीं हो रही है.