धनतेरस पर सोने व चांदी के सिक्के निवेश के रूप में लोगों की पहली पसंद , सर्राफे में जुटी भीड़

आयुर्वेद के जन्मदाता भगवान् धन्वंतरि की जयंती पर शायद ही कोई कार्यक्रम होता हो! 

धनतेरस पर सोने व चांदी के सिक्के निवेश के रूप में लोगों की पहली पसंद , सर्राफे में जुटी भीड़

संवाददाता आशीष चंद्रमौलि

बडौत।उत्तम स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद के देव धन्वंतरि की जयंती को धन से जोड़ने वाले समाज की कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी पर बाजारों में जमकर खरीदारी का प्रचलन हो गया है। इस दौरान जहां लोग घर की जरूरतों के हिसाब से धातु युक्त बरतन खरीदते हैं वहीं संपन्न लोग इस दिन को पीली धातु का निवेश करना शुभ मानते हैं।मध्यम वर्गीय समाज सर्राफे में जाकर लक्ष्मी-गणेश एवं कुबेर जी की मूर्तियों तक ही स्वयं को सीमित कर लेता है, जिनकी दीपावली पर पूजा की जाती है।

जैन एवं वैष्णव समाज द्वारा धनतेरस के दिन सोना-चांदी जैसी मूल्यवान वस्तुओं को खरीदना शुभ माना जाता है।कहते हैं कि, इस दिन मूल्यवान वस्तुओं को खरीदने से न सिर्फ संपत्ति में बढ़ोतरी होती है, बल्कि शुभ के तौर पर भी उनको पूजा में रखा जाता है।यही कारण है कि,धनतेरस-दीपावली के दिनों में चांदी के हॉलमार्क सिक्के, हॉलमार्क बर्तन, देवी- देवताओं की हॉलमार्क मूर्ति,सोने चांदी के हॉलमार्क जेवरात आदि की बड़ी मात्रा में खरीदारी होती है।बढ़ते भाव आगे और भी बढ़त जारी रखेंगे, इस उम्मीद के साथ भी सोना -चांदी में निवेश भी लोग बढ़ चढ़कर करते हैं।

नगर के सन्तोष ज्वैलर्स से जिनेश कुमार जैन के अनुसार, पहले लोग इतना जागरूक नहीं थे, इस त्यौहार के लिए, लेकिन सोना चांदी का निवेश के रूप में एक बेहतर विकल्प होने, प्रचार व प्रसार में बढ़ोतरी, भविष्य की सुरक्षा आदि कारणों से धनतेरस को सिर्फ पूजा तक ही नहींं,बल्कि सोना व चांदी जैसी मूल्यवान वस्तुओं की तरफ अपनी क्रय शक्ति के मुताबिक अधिक से अधिक रुख करते हैं। 

प्रभात कुमार जैन ने बताया कि, लोगों के बढते प्रचलन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 100 फीसदी शुद्ध चांदी की हॉलमार्क मूर्तियां, हॉलमार्क बर्तन, सिक्के आदि की तैयारी की है और पूरी उम्मीद है कि ,सभी के घर में सोना -चांदी के रूप में खुशियां आएंगी इस वर्ष भी।