घाडः जहां मौसम बदलते ही बदल जाती है लोगों की समस्याएं

घाडः जहां मौसम बदलते ही बदल जाती है लोगों की समस्याएं

-गर्मी में पेयजल को तरसते है तो बरसात में पानी ही मचाता है तबाही

-  पहाड़ियों से निकलने वाली दर्जनों बरसाती नदियां करती है कृषि रकबे का कटाव

-भारी बारिश के चलते गरीबों के आशियाने ढहने का सिलसिला भी हो जाता है शुरू


बेहट (सहारनपुर )मैने बनाया मकान तो बारिश में ढह गया, मैने लगाया बाग तो बारिश नहीं हुई, किसी शायर का यह शेर  बेहट तहसील के अर्न्तगत पड़ने वाले घाड़ क्षेत्र पर बिल्कुल सटीक बैठता है। यहां के बाशिंदों की बदकिस्मती ही है कि मौसम बदलने के साथ इनकी समस्याएं भी बदल जाती है। गर्मी के मौसम में पानी की बूंद-बूद को तरसने वाले घाड़ में बरसात में पानी ही तबाही लेकर आता है। दर्जनोें बरसाती नदियां घाड़ का सीना चीरकर निकलती है। जिससे प्रतिवर्ष काफी कृषि रकबे का कटाव तो होता ही है साथ ही कई गांवों का संपर्क भी तहसील मुख्यालय से कट जाता है।
गौरतलब है कि बेहट तहसील के 122 गांवों को घाड़ क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। यहां पेयजल स्तर काफी गहराई पर है, इसलिए सिंचाई के लिए टयूबवैल तो क्या पीने के लिए हैंडपंप भी लगवाना यहां के लोगों के बूते से बाहर की बात है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही घाड़ के दर्जनों गांवों के लोग पेयजल की बूंद-बूंद को तरसने लगते है। हालात यह हैं कि घाड़वासी अपने परिवार एवं मवेशियों की प्यास बुझाने के लिए दूर-दूर से पानी ढोने को मजबूर हो जाते है। बारिश न होने से सिंचाई के अभाव में फसलें भी बरबाद हो जाती है। जबकि बरसात के मौसम में पानी ही इनके लिए मुसीबत लेकर आता है। शिवालिक तलहटी से निकलने वाली दर्जनों बरसाती नदियां घाड़ का सीना चीरकर निकलती हैं। जो प्रतिवर्ष कृषि रकबे का कटाव तो करती ही हैं साथ ही कई गांवों का संपर्क भी तहसील मुख्यालय से कट जाता हैं। नदियों में बाढ़ के कारण कई-कई दिन तक बच्चे भी स्कूल नहीं जा पाते हैं। भारी बारिश के कारण घाड़वासियों के कच्चे मकान भी ढहने का सिलसिला शुरु हो जाता हैं। वर्षों बाद भी घाडवासियों को अपनी समस्याओं से निजात नहीं मिल सकी है। 
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इंसेट

ये नदियां निकलती हैं घाड का सीना चीरकर
बरसात के मौसम में शिवालिक पहाड़ियों से निकलने वाली संहस्रा खोल, शाकुम्भरी खोल, कोठड़ी खोल, खिरनियां, बादशाहीबाग, चपड़ी, गंजी, शाहजहांपुर खोल, बड़कला खोल आदि बरसाती नदियां उफान पर आ जाती हैं। जो प्रतिवर्ष खड़ी फसलों सहित सैकड़ों बीघा कृषि रकबे का कटाव करती हैं। भारी बारिश के चलते  घाड क्षेत्र में मक्का, मूंगफली, बाजरा, ज्वार आदि फसल काफी हद तक बर्बाद हो चुकी है। जिससे किसानो को  भारी नुकसान पहुंचा है। 
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अब तक मिले हैं सिर्फ आश्वासन
विभिन्न समस्याओं से जूझते घाड़वासियों को अब तक केवल आश्वासनों के सिवा कुछ नहीं मिला है। कई बरसाती नदियों पर पुल न होने के कारण गांवों का संपर्क तहसील मुख्यालय से कट जाता है।  बच्चे भी स्कूल नही जा पाते है। ग्रामीणों का कहना है कि  चुनाव के समय तो नेता उन्हें समस्या से निजात दिलाने का आश्वासन देते हैं लेकिन आज भी स्थिति ढाक वही तीन पात है।