ज्ञान शून्य व विवेकहीन जीवन, बिना ब्रेक के वाहन जैसा अहितकरी:आ विशुद्ध सागर
•आचार्य श्री सहित 27 मुनियों ने किया दिल्ली के लिए पद विहार
ब्यूरो डॉ योगेश कौशिक
बडौत।दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्ध सागर गुरुदेव ने पंच कल्याणक महोत्सव में कहा कि, ज्ञान के समान सुख प्रदान करने वाला अन्य कोई नहीं है। ज्ञान होते ही सुख प्रारम्भ हो जाता है। ज्ञान से सम्यक्त्व निर्मल होता है और चरित्र पवित्र होता है। ज्ञान के समान कोई हितकर नहीं और अज्ञान के समान शत्रु नहीं। विनय से विद्या सिद्ध होती है। विनय, अभ्यास और लगन से ज्ञान की प्राप्ति होती है। ज्ञान से ही हिताहित का सम्यक्-बोध होता है। ज्ञान शून्य व विवेकहीन जीवन, बिना ब्रेक के वाहन जैसा अहितकारी है।
उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि, ्ञान का अभ्यास करो, ज्ञान पूर्वक जीवन जियो। ज्ञान के समान अन्य कोई उपकारी नहीं। ज्ञान में सुख-शांति और आनन्द है। ज्ञानी का जीवन अलौकिक, अनुकरणीय और प्रेरक होता है।
मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि ,दोपहर मे 2.30 बजे आचार्य श्री सहित 27 मुनिराजो ने दिल्ली के लिए मंगल विहार किया। आचार्य श्री के 5 माह के ऐतिहासिक चातुर्मास में 8 मुनि दीक्षा हुई, पंचकल्याणक महोत्सव हुआ और अनेक धार्मिक आयोजन हुए।नगर के जैनधर्म के अनुयायिओं सहित विभिन्न धर्म के श्रद्धालुओं ने भीगी पलको से आचार्य संघ को विहार कराया।