भगवद्भक्ति के साथ ही जीने की कला सिखाती है भागवत कथा: राधारमन

भगवद्भक्ति के साथ ही जीने की कला सिखाती है भागवत कथा: राधारमन

संवाददाता मनोज कलीना

बिनौली | स्थानीय शिव मंदिर में चल रही श्रीमद्भागगवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक आचार्य राधारमन महाराज ने कहा कि ,भागवत कथा सभी का कल्याण करने वाली है, जो श्रद्धा और विश्वास को मजबूत करने के साथ ही जीने की कला भी सिखाती है।

आचार्य राधारमण ने कहा कि ,धन को पवित्र कार्यों में लगाकर उसका सदुपयोग करें। पापी व्यक्ति भी भागवत कथा के रसपान से मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। मन को भटकने से बचाने के लिए हमेशा भागवत चर्चा में लीन रहना चाहिए। 

कहा कि,जीवन में हमें तीन प्रकार के दुख प्राप्त होते हैं। पहला दुख परिवार से प्राप्त होता है, दूसरा दुख सगे संबंधियों व संपर्क के व्यक्तियों से होता है तथा तीसरा दुख दैवीय आपदा से मिलता है , लेकिन हम सभी सुख चाहते हैं ,दुख कोई नहीं चाहता। इसके लिए हमें पुरुषार्थ करने की जरूरत है। वह भी धर्म के अनुरूप करना पड़ेगा। कहा कि,कर्म के अनुसार ही सुख दुख प्राप्त होता है। कहा ,परमात्मा को पाने का यदि इस धरा धाम पर कोई साधन है तो केवल भगवान की सच्ची भक्ति है। भगवान की भक्ति करते हुए जीवन मे धीरे धीरे सात्विकपन आ जाता है, और मनुष्य उस पथ का पथिक बन जाता है |

इस अवसर पर उपेंद्र प्रधान, लीलू चौहान, सुरेश शर्मा, महेश धामा, प्रदीप शर्मा, नकुल शर्मा, पीयूष जैन, सुमन शर्मा, एकता शर्मा, राजकुमारी, मुनेश बरवाला,मोनू वर्मा, सत्यप्रकाश वर्मा, कुलवीर धामा, विनीत धामा, सुधांशु जैन  आदि मौजूद रहे।