चित्रकूट-कीचड के चलते ग्रामीणों को आवागमन में होती हैं दिक्कतें।
राजापुर, चित्रकूट: राजपुर तहसील अंतर्गत एक ऐसा भी गांव है जहां आजादी के 76 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी गांव की सडके दल-दल में तब्दील हो गई और तालाब की तरह नजर आ रही है। गांव की नालियां बदबूदार कीचड से पटी पडी है। ग्रामीण दलदल और कीचड भरे रास्ते से निकलने को मजबूर हैं। गांव जाते ही लोगों के पांव दलदल में पड जाते हैं।
जनपद के सीमा का यह अंतिम गांव वीर धुमाई सुर्की गांव में रास्ता खराब होने से ग्रामीणों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गांव के रास्ते जलाशय में तब्दील हो गए। वहीं गांव के नागमणि ने बताया कि 10 वर्षों से डबल इंजन की सरकार महात्मा गांधी के ग्रामीण स्वराज और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सपनों को साकार करने के लिए कटिबंध है, लेकिन गांव की मुख्य सडक टावर से लेकर राजबाबू गौतम के घर तक पूरी तरह से दलदल में तब्दील हो गया है। वहीं गांव में बनी नालियां कीचड और दुर्गंध से लोगों का जीना दुभर हो रहा है। बरसात की उमस भरी गर्मी होने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढता जा रहा है और सडन की दुर्गंध से संक्रामक बीमारियां पैदा हो रही। हैंडपंपों के आसपास पानी की निकासी न होने के कारण मच्छरों का प्रजनन क्षमता बढने के कारण वायरल फीवर मलेरिया जैसी घातक बीमारियां पैदा हो रही है। प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त सफाई कर्मी गांव कभी नहीं आते हैं। हर गली की नालियां कीचड़ से पटी हुई है और हफ्ते में एक बार सफाई कर्मी ग्राम प्रधान के दरवाजे पर आकर पूरे माह की उपस्थित बनाकर चला जाता है। ग्रामीण पप्पू चैहान, समरजीत, सविता, अशोक श्रीवास्तव, राधे सिह ने बताया कि सफाई कर्मी की शिकायत मुख्य विकास अधिकारी अमृता पाल कौर, खंड विकास अधिकारी पहाडी दिनेश मिश्रा तथा ग्राम प्रधान से कई बार शिकायत की गई, लेकिन इस भीषण समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई सुनने नहीं आया। मच्छर रोधी दवा को छिडकने की व्यवस्था ग्राम प्रधान द्वारा नहीं कराया गया है व फॉगिंग की कोई व्यवस्था नहीं हुई। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से इस समस्या से निजात दिलाने व किसी सक्षम अधिकारी से जांच करने की मांग की है।