स्वतंत्रता आंदोलन की महान वीरांगना झलकारी बाई का मनाया गया 165 वां शहादत दिवस
रमेश बाजपेई
रायबरेली।1857 के स्वतंत्रता आंदोलन की महान वीरांगना झलकारी बाई का 165 वां शहादत दिवस मनाया गया। उनके अनुयायियों ने उनके जन्मदिन 22 नवंबर और शहादत दिवस 5 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के मांग की।
रायबरेली के सारस होटल समीप स्थापित वीरांगना झलकारी बाई की मूर्ति के पास वीरांगना झलकारी बाई का 165 वां शहादत दिवस मनाया गया। सबसे पहले उनके अनुयायियों ने त्रिशरण और पंचशील ग्रहण किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए वीरांगना झलकारी बाई कल्याण एवं विकास परिषद अध्यक्ष राम सजीवन धीमान ने कहा कि वीरांगना झलकारी बाई का कद और पद राष्ट्रीय स्तर का है, इसलिए उनके जन्म दिन 22 नवंबर और शहादत दिवस 5 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए सामाजिक चिंतक डॉ सुनील दत्त ने कहा कि वीरांगना झलकारी बाई ने देश की आन बान शान के लिए अपने और अपने परिवार के प्राणों की आहुति दी थी। उनका जीवन भारतीयों के लिए प्रेरणा स्रोत है। इसलिए उनके जीवन दर्शन को प्राथमिक कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया जाए। उनके नाम पर जनपद के चौक चौराहों, तिराहों, विद्यालयों चिकित्सालयों, ओवरब्रिजों आदि का नामकरण किया जाए। परिषद के महासचिव गुप्तार वर्मा ने आए हुए लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।
विश्व दलित परिषद के अध्यक्ष राजेश कुरील ने संबोधित करते हुए कहा कि वीरांगना झलकारी बाई का जन्म 22 नवंबर को झांसी से 4 कोस दूर भोजला गांव में हुआ था। उन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजों का मुकाबला किया था। अंग्रेजों से लड़ते लड़ते पति पूरन कोरी के साथ 5 अप्रैल 1858 को वीरगति को प्राप्त हुए थी। उन्होंने प्रतिज्ञा किया था कि जब तक झांसी को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद नहीं करा दूंगी, तब तक माथे पर सिंदूर नहीं लगाऊंगीं।
इस अवसर पर सभासद यस पी सिंह, एडवोकेट शाक्य एस एन मानव, सूरज यादव, परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष रामसमुझ लाल, इंजीनियर वंश बहादुर यादव, अमर सिंह, देशराज पासी, विमल किशोर सबरा आदि ने भी संबोधित किया। उपस्थित लोगों ने वीरांगना झलकारी बाई को पुष्पांजलि अर्पित किया।