संत रूपी गुरु धन कमाने की कला भले ही न सिखाते हों,उनसे धर्म कमाने की कला सीखें::सौरभ सागर

संत रूपी गुरु धन कमाने की कला भले ही न सिखाते हों,उनसे धर्म कमाने की कला सीखें::सौरभ सागर

 
संवाददाता मनोज कलीना

बिनौली।श्री दिगंबर जैन पुराना मंदिर में सोमवार को हुई धर्मसभा मे जैन संत आचार्य सौरभ सागर महाराज ने कहा कि जीवन में सत्संग व धर्म को आत्मसात् करने से कल्याण होगा। 
कहा कि जरा सी रहमत व थोड़ी सी  मेहनत से कोई भी काम बन जाता है। संत, साधुओं के दर्शन,वंदन तथा आराधना से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति हो जाती है। तीर्थ की वंदना से बड़ा पुण्य ,संतो के सानिध्य व सत्संग से मिलता है। 

उन्होंने कहा कि, गुरु का जीवन में बड़ा महत्व है। संत रूपी गुरु धन कमाने की कला भले ही न सिखायें,लेकिन धर्म कमाने की कला जरूर सिखा देते हैं। जिसके अंदर भावना होती है ,उसको संतों के दर्शन व सानिध्य जरूर मिलता है। इसलिए सत्संग की भावना मन स्मृति में होनी चाहिए। 

जैन संत ने कहा कि,जिसकी स्मृति में सत्संग है, उसका जीवन सुखमय रहता है। इसलिए भक्त के मन में संतों व भगवंतों के दर्शन की भावना रहनी चाहिए।वहीं वाणी पर नियंत्रण से बहुत सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। गलती होने पर पश्चाताप या क्षमा याचना की भावना है ,तो मनुष्य के जीवन में उन्नति होती है। शिक्षक जीवन को साक्षर करते हैं ,जबकि गुरु जीवन को सार्थक करते हैं। इसलिए गुरु के सानिध्य में आना पड़ेगा ,तभी मोक्ष मुक्ति का मार्ग मिलेगा। जीवन में सत्संग व धर्म को आत्मसात् करने से कल्याण होगा। इस अवसर पर कीर्तिमति माताजी ने भी प्रवचन किए। 

धनौरा सिल्वरनगर से पदविहार कर बिनौली पहुंचने पर जैन संत का लोगों ने बैंडबाजों व फूलों की वर्षा कर जोरदार स्वागत किया। मनोज जैन के संचालन में हुई धर्मसभा में रविंद्र जैन, सत्यप्रकाश गोयल, जिवेंद्र जैन, नीरज जैन, अरुण जैन, संयम जैन, अनुज जैन, आशीष जैन, सतेंद्र जैन, प्रवीण जैन, प्रमोद जैन, अनुभव जैन, प्रदुमन जैन, जीवनचंद जैन, अमित जैन, अतुल जैन, पीयूष जैन आदि मौजूद रहे।