लवकुश जनम स्थली पर पर दो दिवसीय मेला संपन्न, महिलाओं ने सुहाग और संतान की कुशलता के लिए की पूजा अर्चना
ब्यूरो डा योगेश कौशिक व अजय कुमार
बालैनी। बाल अयनी यानि बच्चों की चरित्रिका के कारण बालैनी नाम से प्रसिद्ध हुए इसी क्षेत्र में महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में सीताजी ने लवकुश को जन्म दिया था | ऊंचाई पर बने महर्षि वाल्मीकि के आश्रम के पास बहने वाले हिमनद, आज की हिंडन नदी से जल लाने और आसपास के वनक्षेत्र से लकड़ी लाने के लिए लवकुश अपनी माँ सीता की सहायता करते थे | धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण और मान्यता प्राप्त इस आश्रम और स्थली पर स्थित प्राचीन वाल्मीकि मंदिर पर लव-कुश जन्मोत्सव पर लगने वाला दो दिवसीय आखातीज मेला भी धीरे धीरे भगवान परशुराम के कांवडमेले की तरह से प्रसिद्धि पा रहा है |
मेले के दूसरे दिन भी आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों तथा जनपदों से लगातार श्रद्धालु आते रहे | इस दौरान श्रद्धालुओं ने वाल्मीकि पूजा स्थली को नमन वंदन किया तथा अपनी मन्नते मांगी तथा पूरी होने पर अनेक श्रद्धावान प्रसाद बांटते रहे |वहीं ग्रामीणों ने मेले में जमकर खरीदारी भी की।
वाल्मीकि आश्रम में स्थापित मंदिर में भगवान पंचमखी आशुतोष के लिए लोगों ने जलाभिषेक कर सुख शांति की कामना की | वहीं मंदिर के बाहर लगे मेले में लोगों ने जमकर खरीदारी की | मुख्य पुजारी अनंतेश्वर गिरी ने बताया कि मेले में आसपास के क्षेत्रों तथा जनपदों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आश्रम परिसर में बेहतर व्यवस्था की गई है |
दूसरी ओर आश्रम के पास लगाए गए मेले में महिलाओं ने प्रसाद, सिंदूर और सुहागिन चूडियां जमकर खरीदीं और वनदेवी का आशीर्वाद प्राप्त किया | वहीं बच्चो ने झूलों में झूलते हुए व खिलौने खरीदकर आनंद लिया |