धान की नर्सरी के समय में सूखी पड़ी नहरों में पानी नदारद किसानों में आक्रोश।

धान की नर्सरी के समय में सूखी पड़ी नहरों में पानी नदारद किसानों में आक्रोश।

महराजगंज रायबरेली -- जहां एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की दावे कर रही है। तरह-तरह की योजनाएं चलाकर उनके जीवन स्तर को सुधारने का नित नए प्रयास कर रही है परंतु वर्तमान समय में जब धान की नर्सरी करने का सही समय है तब नहरों से पानी ही गायब है। तहसील क्षेत्र को धान का कटोरा कहा जाता है क्षेत्र के किसानों की मुख्य फसल धान है जिससे वह अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। जहां एक तरफ कृषि केंद्रो द्वारा उन्नतशील बीज, किसान सम्मान निधि, कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देकर किसानों की आय को सरकार दोगुनी करने का प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी तरफ धरातल पर सिंचाई विभाग की जिम्मेदार अधिकारियों की घोर लापरवाही दिखाई पड़ रही है। जब नहर की आवश्यकता नहीं होती है तब नहरों में लबालब पानी चला करता है। वही जब पानी की बहुत ही आवश्यकता  धान की नर्सरी के लिए है तो उस समय में नहरों से पानी ही गायब है। किसानों का मानना है कि जितना धान की नर्सरी लेट से होगी उतनी ही पैदावार पर इसका फर्क पड़ेगा। पूर्व में संवाददाता ने नहर के संबंध में जब सिंचाई विभाग के एक्सईएन रामविलास यादव से उनके मोबाइल नंबर 9412409968 पर बात की थी तो उन्होंने किसानों के लिए लगभग 20 जून तक पानी उपलब्ध हो जाने की बात की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि पहले भी डिमांड लगा दी गई थी लेकिन अब 15 जून तक पानी छोड़ने की बात कही गई उसके लगभग तीन-चार दिन बाद किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो जाएगा। फिलहाल राजामऊ,राघवपुर ,सलेथू शिवगढ़ आदि रजबहा व इन रजबहा से निकली छोटी छोटी अल्पिकाओ में पानी न होने से किसानों में काफी आक्रोश है।