बहुतों का अनुभव ;शुद्ध आचरण व निर्मल मन वाले जीव के हृदय में भगवान् का निवास :दंडी स्वामी सत्यदेव आश्रम
संवाददाता आशीष चंद्रमौलि
बडौत। श्री सनातन धर्म प्रचारिणी महासभा के तत्वाधान में महाराजा अग्रसेन भवन में चातुर्मास कर रहे दंडी स्वामी सत्यदेव आश्रम जी महाराज ने श्रीमद्भागवत महापुराण को सुनते हुए कहा कि, प्रत्येक जीवधारी चाहे वह पशु पक्षी मनुष्य देव कोई भी हो ,उनमें प्रभु का वास है, इसलिए सभी उनके अपने हैं और मानव तो पांच इंद्रियों के स्वामी होते हैं, वह मानव, जो दूसरों को भी भगवान स्वरूप मानते हैं , वे उनको अत्यंत प्रिय होते हैं।
दंडी स्वामी जी ने कहा ,शुद्ध आचरण और निर्मल मन वाले भक्त के वश में भगवान् अवश्यमेव हो जाते हैं,क्योंकि भक्त भगवान में और उनके भक्तों में कोई विभेद नहीं करते ,उनके सरल हृदय के कारण भगवान उनके अधीन होते हैं। इसीलिए भगवान ने दुर्योधन की मेवा को त्याग कर विदुरजी के घर जाकर भोजन लिया । भगवान कहते हैं, मैं भाव का भूखा हूं ,जो मुझे भाव से बुलाता है मैं आ जाता हूं। भगवान परेशानी में जब व्यक्ति होता है और मन से भाव से भगवान को याद करता है किसी न किसी रूप में आकर सहायता कर जाते हैं, ऐसा आप में से बहुत से लोगों ने अपने जीवन में महसूस भी किया होगा।
उन्होंने कहा,अमीरी गरीबी छोटा बड़ा, सब व्यक्ति के कर्मों के आधार पर प्रारब्ध से मिलते हैं इसलिए सभी जीव आत्मा में प्रभु मानते हुए व्यवहार करें। महासभा के सचिव डॉ दीपक गौतम ने बताया, पूजन व आरती मणिकांत शर्मा द्वारा कराई गई , जबकि कथा श्रवण करने वालों में मा कालीचरण महिपाल कौशिक राजेंद्र कृष्णपाल, सर्राफा एसोसिएशन के धर्म प्रकाश वर्मा,रामकुमार शर्मा मंसाराम गर्ग युवराज बाला रामवती गर्ग आज श्रद्धालु उपस्थित रहे।