सिद्धचक्र विधान व्यक्ति को देता है पुरुषार्थ की प्रेरणा : प्रदीप पीयूष
संवाददाता मनोज कलीना
बिनौली | बरनावा के श्री चंद्रप्रभ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर में अष्टह्निका महापर्व के उपलक्ष्य में सोमवार को आठ दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान का विधिवत् शुभारंभ हुआ। प्रथम दिन श्रद्धालुओं ने आठ अर्ध्य समर्पित किए।
जैन संत निर्भय सागर महाराज के सानिध्य व पंडित प्रदीप पीयूष शास्त्री के निर्देशन में सुबह प्रदीप जैन, अर्पित जैन द्वारा सिद्ध आराधना, प्रथम स्वर्ण कलश अभिषेक व शांतिधारा तथा द्वितीय शांतिधारा गौरव जैन, ऋषभ जैन द्वारा की गई। इस अवसर पर निर्भय सागर महाराज ने कहा कि ,यह सिद्धचक्र महामंडल विधान पुरुषार्थ करने की प्रेरणा देता है, क्योंकि संसार की चीजें बिना पुरुषार्थ के कभी किसी को प्राप्त नहीं होती ।
बताया कि, मैना सुंदरी के पिता ने उसकी शादी एक कोढ़ी के साथ कर दी और शादी केवल इसीलिए की, कि वह भाग्य के भरोसे थी। मैना सुंदरी ने अपने पिता से कहा कि ,मेरे भाग्य में जो लिखा है ,उसे कोई परिवर्तन नहीं कर सकता। इसी जिद के कारण उसके पिता ने एक कौढी के साथ उसकी शादी कर दी। इसके बाद मैना सुंदरी आराधना ओर पुरुषार्थ करने लगी ,जिससे उसके पति कोढ़ मुक्त हो गये। उन्होंने कहा कि सच्चे मन से एकाग्रता पूर्वक भगवान की आराधना करने से लक्ष्य को प्राप्त होती है।