प्रतिक्रिया :घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में बढोत्तरी से आसान नहींं रहा रसोई का बजट बनाना और सबको संतुलित पौष्टिक भोजन थाली में परोसना
सरकार बढोत्तरी को ले वापस, मंहगाई पर लगाए अंकुश
ब्यूरो डा योगेश कौशिक
बडौत | भाजपा द्वारा देश की सत्ता संभालने के बाद से प्रतिवर्ष औसतन 80 -90 रुपये की बीच रसोई गैस सिलेंडर के दामों में बढोत्तरी के चलते रसोई की मालकिन गृहणियों द्वारा बढती मंहगाई को किस तरह एडजेस्ट किया जाता है अथवा अपनी प्रतिक्रिया किस तरह अभिव्यक्त की जाती है | सरकार द्वारा बढाए गये गैस सिलेंडर के दामों पर गाँव व क्षेत्र की महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी हैं |
जनपद के यमुना खादर जागोस गाँव की समाजसेविका श्रीमती अनीता कौशिक ने कहा कि,घरेलू गैस के दामों में बढोत्तरी का असर रसोई पर निश्चित रूप से पडता है | गेहूं, चावल, दाल, दूध और अब गैस के दाम में बढोत्तरी से रसोई का बजट चरमरा गया है | एडजेस्ट करना भारी काम है | कहा कि, होली के त्योहार पर मिलनी चाहिए थी खुशखबरी ,लेकिन घरेलू गैस के दामों की बढोत्तरी ने जहां निराश किया, वहीं भाजपा की जनविरोधी मानसिकता को भी उजागर किया है |
रालोद की महिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्षा और नगर पालिका परिषद् की संघर्षशील निवर्तमान सभासद रेणु तोमर ने कहा कि, विस्तृत सामाजिक दायरे के बावजूद रसोई स्वयं ही बनाती हैं, इसलिए मालूम है कि, भाजपा राज में मंहगाई ने हर किसी की कमर तोड़ दी है तथा रसोई गैस की साल में दो - दो बार बढाई जाती कीमतों ने थाली में से पहले सब्जी या दाल हटवाई | थाली से पौष्टिकता के बदले खालीपन बढ रहा है | बेमन होकर मंहगाई को एडजेस्ट करने में अब और परेशानी बढेगी | मंहगाई बढाकर सरकार द्वारा जनभावनाओं से खिलवाड़ राष्ट्रीय हित में नहीं है |
श्रीमती कविता तोमर एक समाजसेविका के रूप में जानी जाती हैं | राजनीतिक टिप्पणियों में कम, सेवा और गृहकार्य में ज्यादा ध्यान बंटाती हैं | घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में बढोत्तरी के बारे में बताती हैं कि, इसकी मंहगाई रसोई तक ही सीमित नहींं रहेगी | बाजार के सभी खाद्य पदार्थ, सुबह का नाश्ता और चाय नमकीन तक मंहगे होंगे ,जिनसे आर्थिक रूप से कमजोर हुए आम आदमी की टीस से शायद यह सरकार बेखबर हो |भाजपा के सत्तारूढ़ होने के बाद से रसोई का खर्च दोगुना से भी ज्यादा हो गया है | बताने की जरूरत नहींं कि, मंहगाई के भाजपाई दौर में थाली से क्या क्या हटाकर हम एडजेस्ट कर रही हैं |
सर्विसपेशा आंगनबाड़ी बबली बताती हैं कि, मंहगाई जब भी बढती है, रसोई का बजट बिगड जाता है , जिसका असर मानवमात्र के स्वास्थ्य पर पडता है | निरोगी काया और चेहरों की चमक दमक पिछले कुछ सालों में बेतहाशा बढी मंहगाई के कारण काफी हल्की पड गई है | उम्मीद थी कि, होली पर कुछ अनुकूल घोषणा सरकार द्वारा होगी पर, सभी को निराश किया गया |
पेशे से स्टाफ नर्स अनीता का कहना है कि, पिछले सात - आठ साल में मंहगाई की मार कुछ ज्यादा ही पडी है और आगे कब पड जाए, कुछ नहींं कहा जा सकता | रसोई का बजट बनाना और सभी को संतुलित पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना कठिन हो गया है | गरीब और मध्यम वर्ग के हित में घरेलू गैस सिलेंडर के दामों की गई बढोत्तरी को सरकार वापस ले |