प्रशासन, विभाग और ग्रामीणों की यमुना के जलस्तर पर बराबर नजर

प्रशासन, विभाग और ग्रामीणों की यमुना के जलस्तर पर बराबर नजर

बाढ की स्थिति आने पर लोगों के लिए सुरक्षित स्थान किए चयनित

संवाददाता आशीष चंद्रमौली

बडौत | विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10-12 घंटों से यमुना में जलस्तर स्थिर है, लेकिन किसानों का दावा है कि, जल तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है तथा यमुना अपने पूरे उफान पर है ,जिस कारण तटीय गांवों में स्थिति बिगड़ने की ओर अग्रसर है। 

इसबीच जिलाधिकारी ने गाँव टांडा क्षेत्र में यमुना के जलस्तर और खेतों में बह रही यमुना का मौका मुआयना किया और अधिकारियों को मौके पर कैंप करने के निर्देश दिए। वहीं अधिकारियों ने तटीय गांवों से ग्रामीणों को सुरक्षित रहने के लिए जागरुकता शुरू की।

हथिनीकुंड बैराज से अभी भी यमुना में पानी छोड़े जाने से यमुना अपने पूरे उफान पर है। यमुना का जलस्तर बढ़ने से छपरौली, शबगा, कुरडी, टांडा, बदरखा, जागोस, कोताना आदि गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। इन गांवों में रहने वाले किसानों की सैकड़ों बीघा गन्ने, ज्वार, लोकी, करेला, धनिया, मिर्च आदि की फसलें तो पहले ही यमुना की भेंट चुकी है। जागोस, टांडा व कोताना गांव में यमुना किनारे बने घरों में यमुना का पानी घुसने को बेताब नजर आता है। वहीं यमुना किनारे के बिल्कुल निकट रहने वाले लोग सुरक्षित स्थान पर पहुंचाए जा चुके हैं। गांवों में यमुना का पानी ना घुस जाए ,इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों संग ग्रामीण भी मिलकर तैयारी में जुटे हैं। रेत व मिट्टी के कट्टों, बोरों की मदद से मुख्य मार्ग के कटान को रोकने का भी प्रयास किया जा रहा है। बताया गया कि,छपरौली में यमुना का पानी मंदिर के अधिक निकट तक पहुंच चुका है, जिस कारण मंदिर को भी खतरा पैदा हो गया है।

एसडीएम सुभाष सिंह ने तटीय गांवों का दौरा करते हुए ग्रामीणों को यमुना के किनारों से दूर रहने की अपील की है। साथ ही हलका लेखपालों,कानूनगो व अन्य अधिकारियों को गांव में ही डटे रहने को निर्देशित किया गया है। यमुना किनारे बसे इन गांवों के लेखपाल गांवों में कैंप कर रहे हैं। एसडीएम ने बताया कि ,गांवों में यमुना की बाढ से बचने के लिए सुरक्षित स्थान चयनित किए गए हैं, जहां पर लोगों को रखा जाएगा, हालांकि अभी इसकी आवश्यकता नहीं पड़ी है।

*जलमग्न हुए खादर के कारण पशुओं के लिए चारे की परेशानी*

 यमुना का जलस्तर काफी बढ़ जाने के कारण किसानों द्वारा खादर में उगाई गई लाखों रुपये की फसल बर्बाद हो चुकी है। किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है। फिलहाल किसानों को सबसे अधिक परेशानी पशुओं के चारे को लेकर आ रही है। यमुना में सारी फसल डूब चुकी है, जिस कारण किसानों को अपनी जान जोखिम में डालकर यमुना की तेज धार के बीच से चारा लाने को मजबूर होना पड़ रहा है। अधिकारी इन किसानों से भी यमुना में ना जाने की अपील कर रहे हैं, लेकिन किसान चोरी छिपे यह जोखिम उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं।