एक हफ्ते बाद मौसम ने फिर ली करवट बारिश और कोहरे का प्रभाव जारी जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त।
इसरार अंसारी
मवाना । कहते हैं नीली छतरी वाले की लीला के आगे किसी का जोर नहीं चलता इसी के चलते हजारों वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने भगवत गीता में वर्णन करते हुए कहा था कि अनावृष्ट्या विनङ्क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिता शीतवातातपप्रावृड् हिमैरन्योन्यत प्रजा। इसके अनुसार कलयुग में कभी बारिश नहीं होगी जिससे सूखा पड़ जाएगा। साथ ही कभी कड़ाके की सर्दी पड़ेगी तो कभी भीषण गर्मी हो जायेगी। तो कभी आंधी आएगी तो कभी बाढ़ आ जाएगी। इन परिस्तिथियों से लोग परेशान होते जाएंगे। आज वही बातें सत्य होती दिखाई दे रही हैं सभी प्राकृतिक कार्य बेमौसम और लोगों की अटकलों को दरकिनार कर हो रहे हैं। पुराने बुजुर्गों के मुताबिक जनवरी माह में जनवरी का महीना शुरू होते हैं ठंड का प्रकोप जारी हो जाता था लेकिन अबकी बार जनवरी का आधा महीना बिना सर्दी और सूर्य देवता की मेहरबानी के साथ गुजरा। गणतंत्र दिवस पर बीते वर्षों में कभी इस प्रकार की धूप नजर नहीं आई कोहरे और धुंध के बीच गणतंत्र दिवस का पर्व मनाया गया। लेकिन इस बार कुदरत को कुछ और ही मंजूर था गणतंत्र दिवस के बाद रविवार को मौसम ने एक बार फिर करवट ली और बादलों ने आसमान में अपना कब्जा जमा लिया और सूर्य देवता को उदय नहीं होने दिया। सुबह से ही किनमिन वर्षा के बाद जहां ठंड ने लोगों को घरों में कैद होने पर मजबूर कर दिया वहीं व्यापारियों का भी जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया पूरे दिन व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों पर बैठकर ग्राहकों की राह जोहते रहे। वही रोजमर्रा के जरूरी कार्य करने वाले लोग बारिश में भीगते नजर आए। नगर के कुछ बुजुर्गों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जैसे इंसानों के कर्म वैसे ही भगवान के फैसले हो गए हैं। जिस प्रकार इंसान भगवान के बताए रास्ते पर ना चलकर अपनी मनमर्जी करता है उसी प्रकार भगवान ने भी अपनी मर्जी से प्रकृति को चलाने की ठान ली है। बुजुर्गों ने कहा कि भगवान सभी को सद्बुद्धि दे और सभी धर्म के लोग अपने अपने धर्म अनुसार अल्लाह ईश्वर भगवान के बताए मार्ग पर चलने के लिए एक दूसरे को प्रेरित करें।