भोजन की बर्बादी के प्रति लोगों की संवेदन शीलता खत्म..!!
सभ्य समाज के लिए शर्म की बात कि करोड़ों लोग भूखे सोने पर मजबूर..!!
भोजन की बर्बादी से न केवल सरकार बल्कि सामाजिक संगठनो को भी होना चाहिए चिंतित..!!
अच्छी आदते बच्चों को बड़े सिखाएं और बड़े अन्न की कद्र करें..!!
भोजन को बर्बाद होने से पहले भूखे लोगों तक पहुंचाने की जरूरत..!
हमारी भारतीय संस्कृति में मान्यता है कि जहां अन्न का अपमान होता है वहां लक्ष्मी का वास नहीं होता! मगर अब लोग शायद इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं विकसित और विकासशील देशों में भोजन की बर्बादी का सिलसिला लगातार जारी है इस मामले में चीन पहले और हमारा देश दूसरे स्थान पर है! हैरत की बात है कि दुनिया में जहां तकई करोड़ से अधिक लोग भूखे सो जाते हैं वहीं खाने की बर्बादी कई करोड़ टन रोज की दर से हो रही है!हमारे देश में भोजन की बर्बादी जागरूकता संवेदनशीलता और भूख के प्रति चिंतन से ही रुक सकती है!जबकि देश की शीर्ष अदालत ने दिशा-निर्देश दिया था कि सभी वैवाहिक स्थल होटल और फार्म हाउस में होने वाले शादी समारोहों में भोजन की बर्बादी को रोका जाना चाहिए!इसमें कोई दुविधा नहीं कि मानव सभ्यता में अन्न का पहला और सबसे बड़ा योगदान है!यह सभ्य समाज के लिए बड़ी चुनौती है कि करोड़ों भूखे क्यों और कैसे सो रहे हैं! भोजन की बर्बादी से न केवल सरकार बल्कि सामाजिक संगठन भी चिंतित हैं! बावजूद इसके यह सिलसिला थम नहीं रहा है! इस बात पर भी गौर करने की आवश्यकता है कि खाने की बर्बादी का मुख्य कारण क्या है?यह अजीब है कि एक तरफ दुनिया भुखमरी का दंश झेल रही है तो दूसरी तरफ करोड़ों टन अन्न बर्बाद हो रहा है! इससे सवाल उठता है कि मानव जिस सभ्यता की ऊंचाई पर है क्या उसकी जड़ों को नहीं पहचान पा रहा है? दूसरा कि क्या मानव यह समझने में नाकाम है कि पृथ्वी एक सीमा के बाद भोजन देने में सक्षम नहीं है?बड़े होटलों या पार्टियों में अतिरिक्त भोजन के साथ विभिन्न रूपों में खाद्य सामग्री परोसने की आदत के चलते बर्बादी में बढ़ोतरी हुई है! इस बात का समर्थन सभी करेंगे कि भोजन की बर्बादी न केवल सामाजिक और नैतिक अपराध, बल्कि अन्न के प्रति स्वयं का बिगड़ा हुआ अनुशासन है! यह न केवल भुखमरी को अवसर दे रहा है बल्कि पर्यावरणीय सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों को भी बढ़ा रहा है!एक अच्छी आदत से ही भोजन की बर्बादी को कम किया जा सकता है और यह अच्छी आदत बच्चों को बड़े सिखाएं और बड़े अन्न की कद्र करें तथा होटल और रेस्तरां में परोसी गई थाली की कीमत रुपए से आंकने के बजाय जरूरत और जीवन के आधार पर आंकी जाए ताकि भोजन की बर्बादी रोकी जा सके।