राजापुर -(चित्रकूट) -ऐतिहासिक हनुमान मेले में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ ।

राजापुर -(चित्रकूट) -ऐतिहासिक हनुमान मेले में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ ।

गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्मभूमि राजापुर के ऐतिहासिक हनुमान मंदिर में अगहन मेले के प्रथम मंगलवार को नर-नारियों का सुबह से दर्शनों के लिए ताँता लगा रहा। वहीं पुलिस की लगभग ढाई दर्जन सुरक्षाकर्मियों को चार जोनों में बांटा गया था । मन्दिर परिसर से लेकर मेला क्षेत्र में प्रभारी निरीक्षक हर संदिग्ध पर नजर बनाए रहे। 

   अगहन मेले के प्रथम मंगलवार को क्षेत्राधिकारी निष्ठा उपाध्याय के निर्देशन में मेले को चार जोनों में बाँटकर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करते हुए बताया कि प्रभारी निरीक्षक राजापुर भास्कर मिश्र व क्राइम इंस्पेक्टर प्रभुनाथ यादव अपने हमराहियों के साथ पूरे मेला क्षेत्र में चारों सेक्टरों का निरीक्षण व मेले में संदिग्ध लोगों से पूंछतांछ जानकारी लेते रहे और प्रथम सेक्टर गर्भगृह में उपनिरीक्षक रामकृष्ण वर्मा कांस्टेबल मनोज,महिला कांस्टेबल निशा, बिपिन कुमार , राहुल पुरी, दूसरे सेक्टर में देवीदीन बुन्देला,अतुल मिश्र, राजकुमार थाना सरधुवा तथा तीसरे सेक्टर पूरे मेला क्षेत्र में थाना राजापुर के उपनिरीक्षक कृष्णदेव मिश्र, कांस्टेबल रोहित कुशवाहा,विवेक मौर्य,राजमंगल तथा चौथे सेक्टर में उपनिरीक्षक मुकेश सिंह परिहार कांस्टेबल शुभम तिवारी, कांस्टेबल जितेंद्र कुशवाहा बिना वर्दी के मेला क्षेत्र में संदिग्धों पर नजर रखने के लिए मेला क्षेत्र में तैनात किया गया हैं ।

 ऐतिहासिक हनुमान मेला में कस्बा सहित कौशाम्बी, फतेहपुर, प्रयागराज, चित्रकूट, रायबरेली, प्रतापगढ़ बाँदा के श्रद्धालुओं का सुबह से मन्दिर में दर्शन के लिए ताँता लगा रहा। हनुमान मन्दिर के पुजारी सूर्यप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि संवत 1620 से लेकर संवत 1631 तक रामचरितमानस के रचयिता सन्त सिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने घर के पश्चिम दिशा में पड़ी एक शिला में चंदन से हनुमान प्रतिमा को बनाकर पूजा - अर्चना किया करते थे। एक दिन उस आकृति का विसर्जन करना भूल गए तभी से यह चंदन से युक्त हनुमान आकृति उस शिला में विद्यमान है और श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा - अर्चना किया जाने लगा साथ ही बताया कि कार्तिक पूर्णिमा से अगहन पूर्णिमा तक पूरे एक माह मंगलवार, शनिवार, अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन कस्बा सहित क्षेत्र के सैकड़ों गाँवों व विभिन्न जनपदों के श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मेले में खोया और चीनी से निर्मित लड्डू ही प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। जो भक्त आस्था विश्वास के साथ मन्नत मान लेता है निश्चित ही उसके कार्य सिद्ध हो जाते हैं इस 1 माह के मेले में सौन्दर्य प्रसाधन, नारियल, फूल - माला आदि की दुकानें मेले में सजी रहीं,महिलाएँ व बच्चे झूले का खूब लुत्फ उठाते रहे। भक्तों के द्वारा कार्य सिद्ध होने पर भंडारे का आयोजन जगह जगह किया जाता है ।