झूठे मुकदमों में महिलाओं का सहारा, उनके अंधकारमय भविष्य की ओर है इशारा।
ब्यूरो रिपोर्ट मिथुन गुप्ता एटा
एटा। ऑपरेशन जागृति अभियान के तहत अपर पुलिस अधीक्षक एटा द्वारा थाना पिलुआ क्षेत्रांतर्गत क्षेत्राधिकारी सदर एवं पुलिस टीम सहित बालिकाओं/छात्राओं एवं लोगो से किया संवाद स्थापित,वक्तव्य दे ऑपरेशन जागृति अभियान के संबंध में सभी को किया जागरूक। साथ ही जनपदीय पुलिस द्वारा विभिन्न थाना क्षेत्रों में वृहद स्तर पर चलाया गया जागरूकता अभियान। गोष्ठी आयोजित कर, महिलाओं/बालिकाओं/ छात्राओं एवं क्षेत्र के गणमान्य लोगों से संवाद स्थापित कर लोगो को किया गया जागरूक। थाना कोतवाली देहात की ऑपरेशन जागृति टीम, शहर से हटकर पहुंची काशीराम कॉलोनी, ऑपरेशन जागृति अभियान के तहत काशीराम कॉलोनी निवासियों को किया जागरूक। एडीजी आगरा जोन आगरा महोदया के निर्देशन में महिलाओं एवं बालिकाओं के जागरूकता व स्वावलंबन एवं उनके प्रति होने वाले अपराधो में कमी लाने हेतु चलाए जा रहे ऑपरेशन जागृति अभियान के तहत दिनांक 010.12.2023 को अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा थाना पिलुआ क्षेत्रांतर्गत क्षेत्राधिकारी सदर एवं पुलिस टीम सहित महिलाओं बालिकाओं एवं लोगो से किया संवाद स्थापित,वक्तव्य दे ऑपरेशन जागृति अभियान के संबंध में सभी को जागरूक किया गया। अभियान को और अधिक गति प्रदान करते हुए, थाना क्षेत्र के दूरगामी क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने की मंशा से थाना कोतवाली देहात की ऑपरेशन जागृति टीम, शहर से हटकर पहुंची काशीराम कॉलोनी, ऑपरेशन जागृति अभियान के तहत काशीराम कॉलोनी निवासियों को जागरूक किया गया, जिससे की अधिक से अधिक लोग जागरूक बने और लाभान्वित हो सके,और महिलाओं/ बालिकाओं के विरुद्ध किए जाने वाले अपराधों में एवं झूठे पंजीकृत कराए जाने वाले अभियोग में कमी आ सके। साथ ही जागरूकता अभियान के तहत समस्त थाना क्षेत्रों में गोष्ठी आयोजित कर, महिलाओं/बालिकाओं/ छात्राओं एवं क्षेत्र के गणमान्य लोगों से संवाद स्थापित किया उनकी जागरूक किया गया। तदोपरांत गोष्ठी में प्रतिभाग करने वाले लोगो से फीडबैक लिया गया। जागरूकता अभियान के तहत की गई गोष्ठियों में महिलाओं/ बालिकाओं/छात्राओं एवं गणमान्य लोगों से संवाद स्थापित करते हुए बताया गया की विभिन्न माध्यम से जनसुनवाई में प्राप्त शिकायती प्रार्थना-पत्र एवं दैनिक अपराध आख्या से महिलाओं से संबंधित अपराधों की शिकयतें देखने को मिलती है की जहाँ एक ओर यह स्थिति महिलाओं एवं बालिकाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा को कम्प्रोमाइज करती है, वही अक्सर पारिवारिक विवाद / पारस्परिक भूमि विवाद का यथोचित समाधान नहीं दिखने पर अपराधिक घटनाओं में महिला सम्बन्धी अपराधों को जोड़ने की प्रवृत्ति भी सामाजिक रूप से देखने को मिल रही है। संक्षेप में कई अन्य प्रकरणों में ऐसी घटनायें दर्ज करा दी जाती हैं, जिनको बाद महिला एवं बालिकाओं संबन्धी अपराधों की श्रेणी में परिवर्तित कर दिया जाता है जबकि मूलतः यह पारिवारिक और भूमिविवाद संबन्धी होती है। दूसरी ओर, वास्तविक रूप से महिलाओं एवं बालिकाओं के विरूद्ध जो अपराध होते हैं, उनमें दुष्कर्म, शीलभंग जैसे संगीन मामलों में प्रताड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं की मनोस्थिति काफी हद तक प्रभावित होती है, और पीड़िता के जीवन में उस घटना का ट्रॉमा और भय सदैव के लिए बस जाता है। उक्त मानसिक आघात से उमरने के लिए पीड़िता का मनोवैज्ञानिक परामर्श की भी आवश्यकता होती है। एक अन्य प्रकार का ट्रेंड जो सामने आ रहा है, उसमें नाबालिग उम्र में बालिकायें लव अफेयर, Elopement, Live in relationship जैसे सेनेरियो में फँस जाती हैं और किन्ही कारणों से उनको समझौता करना पड़ता है। कई बार बालिकायें अपनी सहमति से भी बिना सोचे समझे चली जाती है। साथ ही साथ बदनामी के भय से ऐसा संत्रास झेलना पड़ता है, जिसके कारण वह ऐसी स्थिति से निकलने में अपने आपको अक्षम महसूस करती है। परिवार में आपसी संवादहीनता और अभिभावकों से डर के कारण बालिकाए अपनी बात कह नहीं पाती है। इसके अतिरिक्त आज तकनीक के दुरूपयोग के चलते महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति साइबर बुलिंग के मामले भी सामने आ रहे है। इन सभी परिस्थितियों में सामाजिक जागरूकता, संवाद शिक्षा और परामर्श (counselling/support) की बेहद आवश्यकता है ताकि महिलायें एवं बालिकायें इस प्रकार के षड़यंत्रों का शिकार न बने भावनाओं में बहकर अपना जीवन बर्बाद न करें और उन्हें मौहरा बनाकर जमीनी विवादों का समझौता ( settlement) न किया जाये। यदि वास्तव में उनके साथ किसी प्रकार का अपराध घटित होता है तो वह सच बोलने की हिम्मत रख पाये और विधिक कार्यवाही के साथ-साथ उनको counseling/support और rehabilitation का मौका मिल सके।