त्रेता युग का गवाह रह चुका है बडागांव का देवी मंदिर, रावण लाया था यहां मां की मूर्ति

त्रेता युग का गवाह रह चुका है बडागांव का देवी मंदिर, रावण लाया था यहां मां की मूर्ति

••दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और हरियाणा से भी लोग आते हैं मनौती के लिए 

संवाददाता शशि धामा

खेकड़ा।ब्लाक के बडागांव स्थित मां मंशा देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था व श्रद्धा का केंद्र शदियों से बना हुआ है। यह मंदिर त्रेता युग की यादें भी समेटे हुए है। साल में यहां दो बार नवरात्र में मेला भी लगता है। इस मंदिर में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और हरियाणा से भी लोग आते हैं और मां के आगे अपनी झोली फैलाते हैं। कहते हैं कि, मां उनकी मनोकामना पूरी करती है।

मंदिर समिति के लोग बताते हैं कि ,यह मंदिर त्रेता युग का गवाह रह चुका है। यहां विराजमान मंशा देवी की मूर्ति लंकाधिपति रावण हिमालय से लेकर आया था, मां के चमत्‍कार को रावण ने जाना ,तो उसने उनको लंका ले जाने के लिए घोर तप किया। मां ने रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उसके साथ चलने के लिए हां तो कर दी ,लेकिन शर्त के साथ। माँ ने कहा था, अगर तुमने रास्ते में मुझे कहीं रखा, तो मैं वहीं स्‍थापित हो जाऊंगी। रावण मां को लेकर लंका के लिए चल पड़ा। रास्‍ते में वह मां का भार सहन नहीं कर पाया और बड़ागांव में मूर्ति को पृथ्वी पर रख दिया। तब से मां बड़ागांव के मंदिर में विराजमान हैं। 

किंवदंती हैं कि, जब रावण मां को यहां छोड़कर लंका लौट गया, तब से इस गांव को रावण उर्फ बड़ागांव के नाम से प्रसिद्धि मिली। हालांकि, उस मूर्ति के खंडित होने के बाद उसके स्थान पर अब करीब 250 साल पुरानी मूर्ति रखी हुई है। इतना ही नहीं भगवान विष्णु की खड़ी प्रतिमा भी इसी मंदिर में देखने को मिलती है।

तोप से भी बच गए थे सेठ

मंदिर का जीर्णोद्धार बड़ागांव निवासी लक्ष्मणदास जैन सेठ ने कराया था। बताया जाता है, किसी जुर्म में सेठ को अंग्रेजों ने तोप से उड़ाने की तैयारी की थी, मगर देवी का कोई बाल रूप उनके सामने आ जाता था। तीन बार प्रयास के बाद भी सेठ तोप से बच गए थे। उसी समय उनकी सजा माफ कर दी गई थी। इसके बाद उन्होंने यहां भव्य मंदिर बनवाया था। मंदिर में दशावतार के रूप में भगवान विष्णु, मंशा देवी, राम दरबार, भगवान शिव परिवार, हनुमान, भैरव, राधा-कृष्ण की मूर्तियां भी स्थापित हैं।

देवी मां पूरी करती हैं मनोकामना

नवरात्र के दिनों में यहां विशाल मेला लगता है। खेकड़ा से मात्र पांच किमी दूर बड़ागांव के प्रवेश मार्ग पर ही स्थित मंदिर को देखकर हर किसी का मन भक्तिमय हो जाता है। मान्यता है कि, जो श्रद्धालु यहां आकर सच्चे मन से मन्नत मांगता है, देवी मां उनकी मनोकामना जरूर पूरा करती हैं।