सुख व शांति के लिए पाप तजो और प्रभु भजो : तत्वचिंतक उत्तम मुनि

सुख व शांति के लिए पाप तजो और प्रभु भजो : तत्वचिंतक उत्तम मुनि

संवाददाता आशीष चंद्रमौलि

बडौत। जैन स्थानक मंडी में चातुर्मास कर रहे राष्ट्रसंत व उत्तर भारत के प्रमुख प्रवर्तक आशीष मुनि ने प्रवचन धारा प्रवाहित करते हुए कहा कि, दुनिया में सदा पुण्य पाप का खेल चलता रहता है। जब तक पुण्य-साथ देता है, सब अनुकूल ही होता है। पर, जब पापोदय होता है, कुछ भी करो तब सब उलटा ही होता है, अपने भी पराये बन जाते हैं।अनुकूल भी प्रतिकूलता में बदल जाता है।

राष्ट्रसंत ने बुन्देलखण्ड के राजा छत्रसाल का उदाहरण देते हुए कहा कि, जब छत्रसाल बच्चे थे, तब पड़ोसी राजा ने उसदेश में आक्रमण किया,तब बालक को वहीं छोडकर मां-बाप भाग गये। कुछ देर बाद मां की ममता जागी, बच्चे की खोज में मां वापस आयी, तो देखकर दंग रह गयी। बच्चा प्रसन्न होकर किलकारियां कर रहा है। ऊपर देखा, तो पेड में छत्ता लटका है, उसी में से शहद की बूंद बच्चे के मुख‌ में टपक रही हैं।कहा कि, पुण्यवान का साथ तो प्रकृति भी देती है।

इस मौके पर सर्वप्रथम साध्वी श्री सलोनी जी म. ने भजन प्रस्तुत किया, फिर तत्व चिन्तक उत्तममुनि जी ने फरमाया, जीवात्मा सुख चाहता है, पर सुख मिले, ऐसा काम नहीं करता। पाप तजो, प्रभु भजो, यही सुख शांति के स्रोत हैं। 

धर्म सभा में शिखर चंद्र जैन, संजय जैन, डॉ अमित राय जैन, अमरचंद, पवन जैन, मनोज जैन, इंद्राणी जैन, मोनिका जैन आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।