95 साल की बूढ़ी मां बेटों की शिकायत लेकर नंगे पांव चलकर पहुंची थाने
एक बूढ़ी और बेबस मां अपने बेटों से तंग आकर न्याय की गुहार लेकर थाने पहुंचती है। थाना प्रभारी दूर से देखते हैं कि चिलचिलाती धूप में एक बूढ़ी औरत कमर झुकाए हुए धीरे-धीरे कदमों से थाने के भीतर आ रही है। थानेदार यह देखकर थोड़े परेशान हो जाते हैं कि इस कड़ी धूप में एक बूढ़ी औरत क्यों थाने आ रही है। जब उनकी नजर उस बूढ़ी औरत के पैरों पर पड़ती है तो वह और उदास हो जाते हैं। यह सब देखकर उनका मन विचलित हो जाता है।
थानेदार ने जो किया उसने जीत लिया दिल
बूढ़ी और कमजोर मां को जब थाना प्रभारी चंद्रकांत मिश्रा थाने के भीतर आते हुए देखते हैं तो वह सबसे पहले उसे कुर्सी पर बैठाते हैं। इसके बाद सिपाही को आवाज देकर पानी मंगवाते हैं और बूढ़ी मां को पानी पिलाते हैं। इसके बाद उन्होंने बूढ़ी मां से पूछा कुछ खाया है। बूढ़ी औरत सिर हिलाते हुए कहती है नहीं कुछ नहीं खाया।
थाना प्रभारी उसको भोजन कराते हैं। जब नजर पैरों पर पड़ती है तो धूप में तपती सड़क पर चलकर पांव पूरी तरह से मिट्टी में सन चुके थे। थाना प्रभारी चंद्रकांत मिश्रा नई चप्पलें मंगवाकर बूढ़ी मां को अपने हाथों से पहनाते हैं। इसके बाद कहते हैं अम्मा अब बताओं, क्यों परेशान हो। क्यों थाने आई हो। मैं क्या मदद कर सकता हूं तुम्हारी?
बूढ़ी मां ने सुनाई बेटों के जुल्म की दास्तां
95 वर्ष की वृद्धा महाराना निवासी हथेरुआ नर्वल रोते हुए आपबीती बताती है कि पति की मौत के बाद बेटों ने एक बीघा खेत गुजर - बसर के लिए दे रखा था। उसके तीन बेटे हैं और वह तीनों बेटों से अलग झोपड़ी में रह रही है।अब बड़े बेटे ने खेत पर कब्जा कर लिया है। वो ना उस खेत के एवज में ना कोई रुपये देता है और ना ही अनाज। थाना प्रभारी यह सब सुनकर बेचैन हो जाते हैं। तुरंत कार निकालते हैं और बूढ़ मां को कार में बैठाते हैं।
इसके बाद कार में बैठाकर बूढ़ी मां को उसके घर लेकर जाते हैं। बेटों को बुलाकर सबसे पहले तो उन बेटों की क्लास लेते हैं। उस बेटे को बुलाते हैं जिसने खेत में कब्जा किया हुआ था। कहते हैं कि उनके हिस्से के खेत पर किया गया कब्जा तुरंत छोड़ दें।
बेटे वर्दी का खौफ देखकर भयभीत होते हैं। कहते हैं हुजूर आगे से मां का पूरा ख्याल रखेंगे और मां को अपने पास रखेंगे। अब कोई परेशानी नहीं आएगी। इसके बाद बूढ़ी मां थाना प्रभारी के सिर पर हाथ फेरते हुए कुछ बुदबुदाती है और बेटे घर के भीतर मां को ले जाते हैं। वहीं थाना प्रभारी कार से थाने की ओर चल देते हैं।