चौ चरण सिंह और पीवी नरसिंहाराव को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा से  उत्तर और दक्षिण में होगी भाजपा मजबूत

••लडाई शुरू होने से पहले ही जीत के जश्न की कारगर नीति

चौ चरण सिंह और पीवी नरसिंहाराव को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा से  उत्तर और दक्षिण में होगी भाजपा मजबूत

ब्यूरो डा योगेश कौशिक

बागपत।भारतरत्न के सम्मान के साथ ही तमाम राजनीतिक कमजोरियों को दूर करने में माहिर भाजपा के नीति निर्धारकों को आगामी चुनाव के मद्देनजर बड़ी सफलता हासिल होती जा रही है। 

करीब दस दिन पहले बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री स्व कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के साथ ही दलित, पिछड़े और गरीब तबके में भाजपा के प्रति नया जुडाव होते देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झट से पाला बदल लिया और एनडीए के साथ सरकार बनाते हुए आगामी चुनाव भी भाजपा के साथ मिलकर लडने का ऐलान कर देना पडा 

उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के किसानों के गौरव और मसीहा के रूप में चौ चरण सिंह के लिए भी मोदी सरकार ने भारत देने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही छोटे बड़े किसानों में गजब का उत्साह और मोदी जी के प्रति लगाव, धन्यवाद और आभार व्यक्त किए जाने की होड के मध्य रालोद को साधने में अहम भूमिका होगी। चौ चरण सिंह को भारत रत्न के सम्मान की घोषणा से मानो वर्षों से भूखे किसानों को भरपेट भोजन और स्वाभिमान से जीने का हक मिल गया हो, इसके चलते अब शायद ही देर लगे रालोद के एनडीए का हिस्सा बनने में। 

सूत्रों ने बताया है कि, रालोद सुप्रीम अब जल्दी ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाएंगे तथा बदली हुई परिस्थितियों में पदाधिकारियों की राय जानते हुए एनडीए का हिस्सा बनने संबधी प्रस्ताव पारित हो जाने पर पत्रकार वार्ता में विस्तार से इसकी घोषणा कर सकते हैं। 

इसी क्रम में पूर्व प्रधानमंत्री स्व पीवी नरसिंहाराव के लिए भी भारत रत्न दिए जाने की घोषणा का दक्षिण के वोटरों को साधने या कहें, भाजपा के लिए जमीन तलाशने में निश्चित रूप से काम आएगा। उन्हें यह सम्मान भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका के कारण दिया जाएगा, जिसपर चलते हुए भारत विश्व के प्रमुख देशों में माना जा रहा है। 

राजनीतिक पंडितों का अनुमान है कि, आमचुनाव के मुहाने पर तीर कमान लिए खड़े सेनापतियों को साधने के बदले भाजपा ने भारतरत्न के Myself से आमजन की भावनाओं को तरजीह देने का दांव चला, जिससे उत्तर से दक्षिण तक जहां खलबली मची है, वहीं दूसरी ओर लड़ाई से पहले ही जीत का जश्न मनाया जाने लगा है।