किसानों की असमय आर्थिक रूप से मृत्यु से पूर्व ही प्रतिबंधित पेस्टिसाइडस् का प्रयोग रोकें : देवेंद्र खोखर
ब्यूरो डॉ योगेश कौशिक
बागपत।पारदर्शिता, शिक्षण का अभाव और जागरूकता के लिए कार्ययोजना न होने से भारतीय कृषि बढते वैश्वीकरण व बाजारीकरण के चलते अपने नीहित उद्देश्य से भटक रही है।कभी प्राकृतिक संसाधनों के सम्मान में गहरी जड़ें जमाए रहने वाली भारतीय कृषि, आज वैश्विकीकरण और बाजारीकरण की आंधी में उलझ कर रह गई है तथा ज्यादा पैदावार के लालच में, भारतीय किसानों को कुछ विदेशी कंपनियों द्वारा प्रतिबंधित और हानिकारक पेस्टीसाइड्स के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह कहना है भारतीय वैज्ञानिक देवेंद्र खोखर का, जो देश के किसानों को उत्तम खेती पौष्टिक उत्पादन की ओर ले जाने के लिए प्रयासरत हैं।
कृषि वैज्ञानिक देवेंद्र खोखर ने बताया कि,वैश्विक बाजारीकरण ने कुछ सालों से कृषि को भी अपनी जकड़न में ले लिया है। कुछ विदेशी कंपनियां, जो रसायनिक पेस्टीसाइड्स और उर्वरकों का उत्पादन करती हैं, उन्होंने भारतीय बाजार में अपनी पकड़ बना ली है। ये कंपनियां ज्यादा उत्पादन का सपना दिखाकर किसानों को अपने उत्पादों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करती हैं। अनेक मामलों में, ये उत्पाद ऐसे होते हैं, जिन पर दुनिया के कई हिस्सों में प्रतिबंध भी लगा होता है।
कृषि वैज्ञानिक ने इसे भारतीय कृषि के लिए षड्यंत्र बताया और विश्लेषण करते हुए कहा कि, इसकी जड में हमारे ज्यादातर किसानों में जानकारी की कमी देखी जाती है, जिससे वे तुरन्त उनके मकड़जाल में फंस जाते हैं। कहा कि,अनेक किसान इस तथ्य से अनजान होते हैं कि वे जिन पेस्टीसाइड्स का उपयोग कर रहे हैं, वे दूसरे देशों में प्रतिबंधित हैं। देवेंद्र खोखर ने इसके लिए कंपनियों की भ्रामक मार्केटिंग भी जिम्मेदार हैं तथा विदेशी कंपनियां अक्सर अपने उत्पादों को अत्यधिक प्रभावी और हानिरहित के रूप में प्रचारित करती हैं,जबकि होता इसके विपरीत है। बताया कि, ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां किसानों को आर्थिक प्रलोभन देकर उच्च उत्पादन और बड़े मुनाफे का वादा किसानों को देकर अपने उत्पादों की ओर आकर्षित करता है। वहीं नियमन की कमी और प्रभावी निगरानी का अभाव भी इन कंपनियों को अपने उत्पादों को बेचने का मौका देता है।
बताया कि, इसके लिए जागरूकता अभियान और प्रभावी उपाय की जरूरत है। किसानों के लिए कृषि शिक्षा और खेती, उत्पादन, बीज चयन, समुचित व भारतीय खाद की आपूर्ति सहित प्रशिक्षण भी जरूरी है तथा किसानों को ऑर्गेनिक खेती व सतत कृषि प्रथाओं के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है। किसानों को उन उत्पादों के सटीक संघटन और प्रभावों के बारे में जानकारी प्रदान करनी चाहिए ,जिनका वे उपयोग कर रहे हैं।इनके लिए भारत सरकार को चाहिए कि ,वह प्रतिबंधित पेस्टीस को वैधानिक रूप से प्रतिबंधित करके किसानों को असमय आर्थिक मृत्यु से बचाएं।