डेंगू पर काबू पाने के लिए और तेज हुए प्रयासः सीएमओ

डेंगू पर काबू पाने के लिए और तेज हुए प्रयासः सीएमओ
डेंगू प्रभावित इलाकों में कराई गई सैंपलिंग, बड़े पैमाने पर किया जा रहा एंटी लार्वा का छिड़काव

शामली। डेंगू बुखार से बचाव को लेकर लोगों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है। चिकित्सकों के अनुसार डेंगू से घबराने की नहीं बल्कि सही समय पर जांच और उपचार की आवश्यकता है। अपने घरों के आसपास-साफ सफाई रखें और पूरी बाजू के कपड़े पहनें, मच्छरों से बचकर रहें। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजय अग्रवाल ने कहा  डेंगू से घबराने की आवश्यकता नहीं बल्कि अगर सही समय पर सही उपचार मिल जाए तो मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है। इस मौसम में जैसे ही बुखार की शिकायत हो तत्काल निकटवर्ती सरकारी अस्पताल में दिखाएं। पूरी बांह के कपड़े पहनें और घरों और आसपास पानी जमा न होने दें। साफ-सफाई करते रहें। उन्होंने कहा डेंगू पर काबू पाने के लिए प्रयास तेज कर दिये गये हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बड़े पैमाने पर एंटी लार्वा दवा का छिड़काव कराया जा रहा है, जिन गांवों में डेंगू मरीज मिले हैं, वहां पर सैंपलिंग भी कराई जा रही है। संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. जाहिद अली ने बताया डेंगू बुखार तीन तरह का होता है। क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हेमरेजिक बुखार ;डीएचएफद्ध और डेंगू शाक सिंड्रोम ;डीएसएसद्ध । साधारण डेंगू बुखार में मृत्यु नहीं होती है, लेकिन यदि डेंगू हेमरेजिक बुखार या डेंगू शाक सिंड्रोम का तुरंत उपचार शुरू नहीं किया जाता है तो जानलेवा साबित हो सकता है। प्लेटलेट्स पचास हजार से नीचे जाने पर ही स्थिति गंभीर मानी जाती है। उन्होंने बताया कि हाल ही ब्लाक कैराना के बीनड़ा गांव में बुखार के ज्यादा मरीज मिले थे, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्वास्थ्य कैंप लगाए गए हैं। बीनड़ा में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शिविर लगाकर वहां 63 रोगियों की जांच कर उपचार दिलाया।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर तैनात ब्लाक कार्यक्रम प्रबंधक अतुल गर्ग ने बताया डेंगू की पुष्टि के लिए पंद्रह लोगों की जांच की गई, जिनमें आठ सैंपल आगे की जांच के लिए सहारनपुर भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने पर स्थिति स्पष्ट हो गई। सभी रोगियों को उपचार दिया जा रहा है।
डेंगू शाक सिंड्रोम के लक्षण
रोगी अत्याधिक बेचौन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद उसकी त्वचा ठंडी महसूस होती है।
रोगी धीरे-धीरे होश खोने लगता है।
यदि रोगी की नाड़ी देखी जाए तो वह तेज और कमजोर महसूस होती है। रोगी का रक्तचाप कम होने लगता है।