-- है अभिलाषा तन पर मेरे अंतिम समय तिरंगा हो , स्वतंत्रता सेनानी अर्जुन सिंह की स्मृति में कवि सम्मेलन में देशप्रेम , ओज व हास्य का संगम

-- है अभिलाषा तन पर मेरे अंतिम समय तिरंगा हो , स्वतंत्रता सेनानी अर्जुन सिंह की स्मृति में कवि सम्मेलन में देशप्रेम , ओज व हास्य का संगम

ब्यूरो डा योगेश कौशिक

बागपत | संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री बाबा योगेंद्र सिंह की जन्म जयंती के अवसर पर आर्य समाज अग्रवाल मंडी टटीरी में कवि गोष्ठी की अध्यक्षता आर्य समाज के प्रधान सुरेश चंद जिंदल ने की | इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी व अग्रणी समाजसेवी रहे स्व अर्जुन सिंह की धर्मपत्नी श्रीमती रुकमणी देवी मुख्य अतिथि रही |

इस अवसर पर बडौत के दिनेश शर्मा के सानिध्य में स्वतंत्रता सेनानी लाला अर्जुन सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए एवं उनकी सेवाओं का वर्णन किया गया, कार्यक्रम का संचालन कविवर अजय तोमर ने किया | 

समाजसेवी अभिमन्यु गुप्ता के आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम में पंकज गुप्ता दीपक गोयल सतीश जिंदल विरेंद्र त्यागी आर्य भूषण आर्य ओमपाल आर्य संजय जिंदल अतुल जिंदल आदि ने कवि गोष्ठी में कवियों की वाणी से देश धर्म व समाज को सीख देने वाली कविताओं का आनंद लिया |प्रमुख कवियों ने स्वतंत्रता सेनानी लाला अर्जुन सिंह की सेवाओं का वर्णन किया |

कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष डॉक्टर कमला अग्रवाल के सानिध्य में प्रारंभ हुआ जिन्होंने कहा, घर बार छोड़ कर भगवा ओढ़ कर,भारती के लिए चला भारती का लाल था,भामाशाह की थाती वाला सांभल की माटी वाला ,दहकता हुआ वो शोला दुश्मनों का काल था | कविवर अजय तोमर ने स्वतंत्रता सेनानी ला अर्जुन सिंह के लिए कुछ यूँ कहा, ‌हाथ में मशाल फूंक दिया स्टेशन को,आजादी के लिए काम उसका कमाल था | 

दिल्ली और हरियाणा में अपनी वाणी और कलम की धाक जमाने वाले बडौत के दुलारे कवि सुरेन्द्र शर्मा ने कहा,पश्चिम में मेरे यमुना हो और पूरब में बढ़-चढ़कर गंगा हो।जनगण मन बस जाएं मन‌ में हाथों बीच तिरंगा हो।इस माटी में जन्म लिया है इस माटी में मिल जाएं,है अभिलाषा तन पर मेरे अंतिम समय तिरंगा हो। लोक साहित्य संस्कृति के अध्यक्ष व राष्ट्रीय कैडेट कोर के अधिकारी कवि गजेंद्र गजानन ने कहा, उगता हुआ सूरज नित निहारा करो ,कुछ दोष अपने भी सवांरा करो, कहते हुए प्रेरित किया |

कवि राजेश कुमार ने कहा कि,उठाई जो उंगली इस वतन की ओर ऐसे दुश्मन की भुजा उखाड़ देंगे हम, 
निकले अपशब्द देश के खिलाफ यदि
ऐसी जबान को मुंह से काढ़ देंगे हम |वहीं सबसे अलग व्यंग्य भरे लहजे में कवि सुशील ने कहा, हर चेहरे पर उदासी छाने वाली है ,अदालत में फिर हंसी आने वाली है ,सच के सामने झूठ जीत गया ,एक निर्दोष को फांसी होने वाली है |

कवि सम्मेलन में कवियों की ओज, व्यंग्य व देश प्रेम आ भरी रचनाओं को सुनकर श्रोताओं ने मकर संक्रांति के अवसर पर तीर्थराज प्रयाग जैसा साहित्यिक रस का आनंद लिया |