भाव को स्वीकार कर अभय कर देते हैं भगवान शंकर दंडी स्वामी सत्यदेव आश्रम जी

भाव को स्वीकार कर अभय कर देते हैं भगवान शंकर दंडी स्वामी सत्यदेव आश्रम जी

 दंडी स्वामी सत्यदेव आश्रम जी महाराज का चातुर्मास महाराजा अग्रसेन भवन बड़ौत में चल रहा है सावन के दुसरे सोमवार में शिव महापुराण कथा का प्रारंभ पूजन करके राजेंद्र शर्मा व उनकी धर्मपत्नी  द्वारा किया गया कथा के समापन पर शिव महापुराण व भगवान शंकर की आरती करी गई शिव महापुराण कथा सुनाते हुए दंडी स्वामी जी ने बताया भगवान शंकर मनुष्य के द्वारा  जाने अनजाने में अर्पित किए जाने वाले बेलपत्र फूल फल जल भांग धतूरा दूर्वा को स्वीकार कर लेते हैं तथा सृष्टि  के सभी भौतिक दैविक सामग्री  जिसे भक्त चाहे प्रदान कर देते हैं तथा काल से भी अभय प्रदान कर महाकाल कहलाते हैं इसीलिए शिव को भोलेनाथ कहते हैं जिस प्रकार अग्नि शरीर को जला सकती है उसके अंदर स्थित विकारों को नहीं विकारों को नष्ट करने के लिए भगवान का चिंतन मनन आवश्यक है तभी भगवान कृपा प्राप्त होती है डॉ दीपक गौतम सचिव ने बताया आज की कथा में शिव महापुराण कथा श्रवण करने वालों में मणिकांत रामगोपाल गुप्ता सचिन हरिशंकर राजेश सुनीता राखी मीनाक्षी गुड्डी स्वामी आदि भक्त रहे