वित्त रागी होते हैं भिखारी, जबकि वीतरागी होते हैं अरिहंत : जैन मुनि विशुद्ध सागर

वित्त रागी होते हैं भिखारी, जबकि वीतरागी होते हैं अरिहंत : जैन मुनि विशुद्ध सागर

*वित्त रागी होते हैं भिखारी, जबकि वीतरागी होते हैं अरिहंत : जैन मुनि विशुद्ध सागर*

      

संवाददाता आशीष चंद्रमौली

बडौत।आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि, मोक्ष और संसार व्यक्ति के हाथ में है। वन्दना करो, बन्ध न करो। बन्ध न करो, वन्दना करो । कोई परमेष्ठी के पादमूल में आकर भी बन्ध करके चला जाता है और ज्ञानी घर में बैठकर भी वन्दना कर लेता है। घर में बैठकर भी कर्म की निर्जरा कर लेता है। 

वंदना के दौरान ध्यान पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि,घर में बैठे-बैठे यदि नारी का ध्यान कर रहा है तो अशुभ आस्रव होगा कि नहीं होगा ? जब अशुभ आस्रव घर में बैठे-बैठे हो सकता है, तो घर में बैठे-बैठे यदि भगवान् का ध्यान करेगा, तो पुण्य आस्रव भी होगा। मोक्ष तेरे हाथ में है, संसार तेरे हाथ में है। भगवान् के हाथ में न तो मेरा मोक्ष है, न मेरा बन्ध है । 

उन्होंने कहा कि,कण-कण स्वतंत्र है। निज के भावों में ही बन्ध है और निज के भावों में ही मोक्ष है। भगवान् स्वतंत्र हैं, उनकी सत्ता स्वतंत्र है। सम्पूर्ण पदार्थों की सत्ता स्वतंत्र है। भगवान् बंध नहीं कराते, भगवान् मोक्ष नहीं दिलाते ,परन्तु भगवान् की अवहेलना यदि करेगा, तो निश्चित ही बन्ध होगा और भगवान् की वन्दना करेगा तो मोक्ष मिलेगा। 

उन्होंने श्रद्धालुओं से सवाल किया कि, भारतभूमि में कोटि-कोटि भिखारी घूम रहे हैं, वो क्यों नहीं मुनि बनते ? जबकि, गलियों में भीख माँगने वाले मिल जायेंगे। बहुत अच्छा हुआ कि, हे वर्द्धमान ! हे तीर्थेश ! तुम भिखारियों के बेटे नहीं थे, तुम ब्राह्मण के बेटे नहीं थे, तुम क्षत्रिय सम्राट् के बेटे थे। इन रागियों को मालूम चलना चाहिये कि , ये भिखारियों का मार्ग नहीं है, ये वीतरागियों का मार्ग है। ये श्री जिन शासन, ये नमोऽस्तु शासन भिखारियों का मार्ग नहीं है। ये वित्तरागियों का मार्ग नहीं है, ये तो वीतरागियों का मार्ग है। जो वित्त के रागी हैं, वे भिखारी हैं और जो वीतरागी हैं, वे अरिहंत सर्वज्ञदेव हैं।

 सभा का संचालन पं श्रेयांस जैन ने किया। सभा मे प्रवीण जैन, विनोद जैन,अतुल जैन, वकील चंद जैन, सुनील जैन, अनुराग मोहन,राकेश जैन,आलोक मित्तल,अमित जैन, विवेक जैन,नीरज जैन, दिनेश जैन, सतीश जैन आदि भी उपस्थित रहे।