सफलता की कुंजी है आत्मबल, इसे बढ़ायें : राम रहीम

सफलता की कुंजी है आत्मबल, इसे बढ़ायें : राम रहीम

वेद सबसे प्राचीन ग्रंथ, ब्रह्मचर्य आश्रम युवाओं के चिंतन का माध्यम

संवाददाता मनोज कलीना 

बिनौली | शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां ने ऑनलाइन गुरूकुल के माध्यम से रूहानी सत्संग फरमाया और देश-विदेश की साध-संगत राम रहीम सिंह के वचनों को सुनकर व दर्शन करके निहाल हुई। 

इस अवसर पर उन्होंने नशे व बुरी आदतों से कैसे बचा जाए, आत्मबल जो सफलता की कुंजी है, इसे कैसे बढ़ाया जाए, भगवान जो सर्वशक्तिमान है, उसके दर्शनों के काबिल कैसे बना जा सकता है, का तरीका भी बताया। संत राम रहीम ने रूहानी सत्संग के दौरान ब्रह्मचर्य और गुरूकुल की शिक्षा के बारे में कहा कि, पुरातन समय में चार आश्रम बनाए गए। वेदकाल समय की बात करो तो उसमें ब्रहमचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ और फिर संन्यास आश्रम आते थे। सभी धर्मों में इनके बारे में लिखा हुआ है। हमारे जो सबसे पुराने पाक-पवित्र ग्रंथ हैं, वो हैं पवित्र वेद। जो हजारों साल पुराने हैं, ये अब साबित हो चुका है।