मानव जीवन बेशकीमती, इसे व्यर्थ गंवाने वाले दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख: आ विशुद्ध सागर

मानव जीवन बेशकीमती, इसे व्यर्थ गंवाने वाले दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख: आ विशुद्ध सागर

संवाददाता सीआर यादव

 अमींनगर सराय। विख्यात जैन संत आ विशुद्ध सागर ने कस्बे की जैन धर्मशाला में प्रवचन करते हुए मानव जीवन को प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान बताया । इस दौरान बड़ी तादाद में श्रद्धालु उपस्थित रहे। इससे पूर्व कस्बे के जैन समाज सहित नगर अध्यक्ष ने बड़ागांव से आए जैन संतों का सादर सत्कार कर मंगल प्रवेश कराया।

 प्रख्यात जैनाचार्य विसुद्ध सागर महाराज ने कहा कि, मानव जीवन बेशकीमती है ,इसे गंवाने वाले दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख होते हैं। मानव जीवन मिलना अत्यंत गौरव की बात है, इस जीवन में मनुष्य अपने मन कर्म वचन द्वारा सांसारिक मोह माया को त्याग कर अपने जीवन के मूल उद्देश्य की प्राप्ति कर सकता है,लेकिन आज कल के भौतिकवाद ने जीवन में इतनी व्यस्तता कर दी है कि, जीवन के मूल उद्देश्य की प्राप्ति से मनुष्य दूर हुआ जा रहा है। कहा कि, हमे सदेव अपने मूल उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अग्रसर रहना चाहिए और निरंतर उसे पाने के लिए कर्म करते रहने चाहिएं‌। 

इससे पूर्व बड़ागांव से आए जैन संतों का कस्बे के जैन समाज की ओर से भवे्य स्वागत किया गया । वहीं चेयरपर्सन सुनीता मलिक ने जैन संतो का आशीर्वाद लिया व धर्मध्वजा लेकर चले। धर्मशाला में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने जैनाचार्य को श्रीफल भेंट किए । इस दौरान विनोद जैन, दिनेश जैन, जयकुमार जैन,अशोक जैन, अरुण जैन, संदीप जैन सहित बड़ी संख्या में नर नारी उपस्थित रहे।