डॉ. बीआर अम्बेडकर ने दलितों को गुलामी से मुक्त किया : रामजीलाल सुमन
-राज्यसभा में भारत के संविधान की 75 वीं वर्षगांठ पर हुई चर्चा पर बोले सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन
अनिल चौधरी ब्यूरो रिपोर्ट
नई दिल्ली,। राज्यसभा में भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर हुई चर्चा पर बोलते हुए समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने भारत के संविधान में पांच हजार वर्षों से पुरानी कुप्रथाओं को खत्म किया तथा गुलामी और अस्पृश्यता को अपराध घोषित करते हुए देश के लोगों को सम्मान और बराबरी का दर्जा दिया। संविधान निर्माण के समय पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब मौन व्रत पर थे तब उनको कुछ नाम प्रेषित किए तो गांधीजी ने वो सूची देखकर बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के नाम के सामने टिक किया और स्वीकार किया कि संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष के लिए डॉ. अम्बेडकर से बेहतरीन और कोई व्यक्ति नहीं हो सकता। सुमन ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने लिखा था कि संविधान कितना भी अच्छा हो लेकिन ये बुरा ही साबित होगा अगर इसे लागू करने वाले लोग अच्छे नहीं होंगे। उच्च सदन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का देश की आजादी के राष्ट्रीय आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा और उनका संविधान की मूल भावना से भी कोई रिश्ता नहीं रहा। कुछ लोग सरदार पटेल को अपना आदर्श मानते हैं उन्हें यह नहीं भूल जाना चाहिए कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने के काम सरदार पटेल ने ही किया था। संघ के दूसरे सरसंघचालक गोलवलकर की 1946 में प्रकाशित किताब 'वी ऑर आवर नेशनहुड डिफाइंड' का हवाला देते हुए सुमन ने कहा कि गोलवलकर लिखते हैं कि हिंदुस्तान के सभी गैर-हिन्दुओं को हिंदू संस्कृति और भाषा अपनानी होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिटलर को अपना आदर्श मानता है जो संविधान की मूल भावना लोकतंत्र के प्रतिकूल है।