मिट्टी खनन पर प्रतिबंध के चलते मिट्टी के बर्तन बनाने वाले हस्तकला के माहिर लोग हो रहे बेरोजगार।
मवाना इसरार अंसारी। जहां सरकार हस्तशिल्प यानी अपने हाथों से प्रकृति संसाधन की मदद से विभिन्न प्रकार के मिट्टी के दिए कुल्हड़ हांडी आदि बर्तन बनाने वाले कुम्हार समाज के सामने मिट्टी खनन पर प्रतिबंध होने के चलते बेरोजगारी का संकट छा रहा है। इसी को लेकर नगर निवासी एक हस्तशिल्प ने एसडीएम अखिलेश यादव को मांग पत्र देकर समस्या का निस्तारण कराए जाने की मांग उठाई है वही है सीएम अखिलेश यादव ने समस्या का समाधान कराए जाने का आश्वासन दिया है? बता दें कि हस्तकला एक ऐसे कलात्मक कार्य है जो रोजमर्रा के कार्यों में इस्तेमाल करने के साथ-साथ सर्व समाज के साज सज्जा के प्रयोग में आता है जो लोग अपने हाथों से यह सरल औजारों की सहायता लेकर ही बनाया जाता है इस प्रकार की कलाओं का धार्मिक एवं सांस्कृतिक मैं एक अलग ही महत्व होता है समाज में अनेकों सामान मशीनों से तैयार होने लगे हैं जो देखने में तो सुंदर लगते हैं लेकिन प्रयोग करने में उनमें प्राकृतिक स्वाद नहीं मिलता। सुंदरता के कारण प्राकृतिक वस्तुओं को लेकर बनाए गए सामानों का समाज में अस्तित्व कम होता जा रहा है। सरकार के आदेश अनुसार सिंगल यूज प्लास्टिक पॉलिथीन आदि पर जहां प्रतिबंध लगा हुआ है वही प्राकृतिक वस्तुओं पर भी सरकार की कोई मजबूत योजना हस्तशिल्प के लिए जमीनी तौर पर लागू नहीं हो पाई है। आज भी लोग अपने पूर्वजों को याद कर मिट्टी की हंडिया में बना सरसों का साग कुल्हड़ एवं कुल्फी की चाय दीपावली पर मिट्टी के दिए मिट्टी से बनी हुक्के की चिलम तथा नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए मिट्टी से बने खेल खिलौने आदि के साथ मिट्टी की हंडिया में बनाए गए व्यंजन की सराहना करते हुए अपने पूर्वजों को याद करते हैं। डिजिटल इंडिया होना जरूरी है यह समय की मांग है। लेकिन इसके साथ पुराणिक कार्य समाप्ति की ओर जाना यह दुर्भाग्यपूर्ण है सरकार को कुमार समाज के हस्तशिल्प कारीगरों के लिए जमीनी स्तर पर एक मजबूत योजना लागू करने की दरकार है।