देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकताः वीरेन्द्र सिंह
नफरत और हिंसा के कारण लाखों हिन्दुओं व सिखों को होना पडा विस्थापित विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर नगर पालिका में प्रेसवार्ता का आयोजन
रविवार को नगर पालिका में सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा एमएलसी वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि देश का बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। बंटवारे के दौरान लाखों हिन्दुओं व सिखों को विस्थापित होना पडा था, लोगों को अपनी जान तक गंवानी पडी थी। उन्होंने कहा कि हम भारतीयों को इस दिन को याद रखने की जरूरत है, विभाजन को एक सबक के रूप में लेना चाहिए ताकि भारत अतीत की गलतियों को न दोहराते हुए देश तुष्टिकरण का रास्ता न अपनाएं। एमएलसी ने कहा कि उस समय की सरकार द्वारा विभाजन स्वीकार करना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, भारत विभाजन के दौरान करीब 6 लाख लोग मारे गए थे तथा डेढ करोड से अधिक लोग बेघर हुए। विभाजन की त्रासदियों को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के मध्य समझौता हुआ लेकिन नेहरु लियाकत संधि के विरोध में 8 अप्रैल 1950 को नेहरु के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि यह समझौता विफल हो जाएगा और अंतत वही हुआ। उन्होंने कहा कि वास्तव में मुस्लिम लीग 1937 के चुनाव के बाद से ही इस बात का प्रयास कर रही थी कि सिंध के सामान्य मुसलमानों के मन में हिन्दू विरोधी उन्माद को बढाया जाए जिसके चलते 1939 में लीग ने व्यापक दंगे कराए जिसमें 800 से ज्यादा हिन्दू मारे गए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया कि उन्होंने विभाजन के दौरान लोगों के संघर्ष व बलिदान की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया जो ऐतिहासिक है। कैराना सांसद प्रदीप चौधरी ने कहा कि जिन्ना अथवा मुस्लिम लीग को पाकिस्तान का निर्माता कहना उचित नहीं है इसमें कांग्रेस की नीतिगत असफलता भी पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने सदैव फूट डालो राज करो की राजनीति अपनायी थी जिसका अनुसरण कांग्रेस पार्टी में रहते हुए उनके मानसपुत्र आज भी कर रहे हैं। इस मौके पर नगर पालिका चेयरमैन अरविन्द संगल आदि भी मौजूद रहे।