शांतिनाथ मंदिर में धर्मसभा : मांसाहार छोड़ने व शाकाहार अपनाने का मुनि समत्व सागर ने किया आह्वान
संवाददाता आशीष चंद्रमौलि
बडौत।नगर के कैनाल रोड स्थित श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर हाल में आ श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के शिष्य मुनिश्री समत्व सागर ने कहा कि, जैन एक जाति न होकर एक सिद्धांत है।पूरे विश्व में जैन धर्म की एक अलग पहचान है ,इसका कारण भी जैन धर्म के सिद्धांत हैं। कहा कि, जैन धर्म एक बहुत ही वैज्ञानिकतो लिए है। भगवान महावीर ने जो संदेश दिए हैं, पूरा विश्व उन्हें स्वीकार कर रहा है।
मुनिश्री समत्व सागर ने कहा हमें कोई हक नहीं है कि,हम किसी निरीह प्राणी का वध करें और उसके मांस का सेवन करें। प्रकृति ने हमें खाने के लिए फल सब्जियां आदि अनमोल खजाना दिया है ,लेकिन उसके बावजूद हमने अपने पेट को एक कब्रिस्तान बना लिया है। इसमें बस अनाप-शनाप का सामान डालते जा रहे हैं। सवाल किया कि, क्या जो व्यक्ति शाकाहार अपनाते हैं, वह मांसाहारियों की तुलना में कमजोर होते हैं ,ऐसा नहीं ,लेकिन कुछ लोगों ने और कुछ लेखकों ने ऐसी भ्रांति फैली दी है कि व्यक्ति को प्रोटीन व विटामिन मीट से प्राप्त होते हैं, जो कि तथ्यहीन है। सदैव शाकाहारी भोजन करके ही हम अपने मन को और तन को स्वस्थ रख सकते हैं।
कहा कि, सूर्यास्त से पूर्व भोजन करने को आज सभी स्वीकार कर चुके हैं। सूर्यास्त के बाद अनेक प्रकार के जीव भोजन मे पैदा हो जाते हैं, जिससे भोजन विश के रूप में परिवर्तित हो जाता है , यही बात भगवान महावीर स्वामी द्वारा सैकड़ों वर्षों पूर्व सबको बताई गई थी।
धर्मसभा में मुनिश्री अनुपम सागर जी महाराज ने भी मंगल प्रवचन दिया।सभा का संचालन विनोद जैन एड और डॉ श्रेयांस जैन ने किया। सुरेंद्र जैन, अनिल जैन, शरद जैन, नवीन बब्बल, वरदान जैन,विवेक जैन,पीयूष जैन, संकल्प जैन, सौरभ जैन,रोहित जैन, सुनील जैन आदि उपस्थित रहे।