वीरांगना नीरा आर्या जयंती : देश और दुलारों के मार्ग की बाधाएं नारीत्व जागरण से हमेशा हारी : तेजपाल सिंह धामा

वीरांगना नीरा आर्या जयंती : देश और दुलारों के मार्ग की बाधाएं नारीत्व जागरण से हमेशा हारी : तेजपाल सिंह धामा

संवाददाता नीतीश कौशिक

खेकड़ा । नगर में वीरांगना नीरा आर्य की जयंती के अवसर पर उनके नाम से राष्ट्र को समर्पित नीरा आर्य स्मारक एवं पुस्तकालय में याद किया गया तथा उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए कहा गया कि , देश तथा देश के दुलारों से गद्दारी करने वालों के लिए जब नारीत्व जागृत होता है,तो नीरा आर्या जैसी विभूति वीरांगना बनकर मार्ग प्रशस्त करती है। 

नीरा आर्या जयंती के अवसर पर आर्य स्मारक के प्रबंधक हरबीर सिंह, सीमा चौधरी, कु निकिता, दादी बीरमती, बिलेंद्री देवी आदि ने हवन एवं पूजा अर्चना करके स्वतंत्राता सेनानी नीरा आर्या का स्मरण किया। उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। 

नीरा आर्य स्मारक एवं पुस्तकालय के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध साहित्यकार तेजपाल सिंह धामा ने बताया कि, 
नीरा आर्य का जन्म 5 मार्च 1902 को खेकड़ा नगर में हुआ था। नीरा के प्रारम्भिक शिक्षक का नाम बनी घोष था, जिन्होंने उन्हें संस्कृत का ज्ञान दिया। बाद की शिक्षा कलकत्ता शहर में हुई। इनकी शादी ब्रिटिश भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत जयरंजन दास के संग हुई थी, जो अंग्रेजों का परम भक्त अधिकारी था। 

बताया कि,श्रीकांत जयरंजन दास को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने और उसे मौत के घाट उतारने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन नीरा आर्य ने नेताजी को बचाने के लिए अपने ही पति की हत्या कर दी थी। इसलिए इन्हें नीरा नागिन के नाम से भी जाना जाता है। इनके भाई बसंत कुमार भी आजाद हिन्द फौज में थे। 

नीरा आर्या की जन्मस्थली खेकड़ा, बागपत में नीरा आर्य स्मारक की स्थापना की गई है, जिसमें एक  पुस्तकालय भी है। यहां उनकी प्रतिमा के साथ ही जनपद के 300 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों की सचित्र जानकारी भी संग्रहित की गई है तथा युवाओं में राष्ट्रीय भावना जागृति तथा देश की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए श्रेष्ठ व प्रेरक साहित्य रखा गया है।