वोकल फार लोकल की मुहिम बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आकर्षक स्कीमों के चलते फेल, घट रहा है खुदरा व्यापार
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने प्रधान को भेजा ज्ञापन
ब्यूरो डा योगेश कौशिक
बागपत | वोकल फोर लोकल के उद्घोष से जहां उद्योग और व्यापार के उबरने की उम्मीद थी, वहीं बुरा कंपनियों को देश में व्यापार की अनुमति के चलते निराशा में बदल रही है |इतना ही नहींं ,बडी व अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को जिन प्रतिबंधों के साथ अनुमति दी जाती है, सरकारी देखरेख के अभाव में उसकी भी धडल्ले से धज्जियाँ उडाई जा रही हैं, और वोकल फार लोकल व्यापारियों की खिल्ली उडाता नजर आ रहा है |
विदेशी कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों को घर घर तक पहुंचाने के लिए नई नई आकर्षण स्कीमों की घोषणा के चलते लोकल उद्योग व व्यापार की डिमांड बहुत ही कम रह जाती है | लोभ लालच और फिर आनलाइन सर्विस की सुविधा का आलम यह है कि, आर्डर के 24 घंटे के भीतर सप्लाई और फिर संतुष्ट न होने या पसंद न आने पर वापसी की सुविधा के झांसे में आकर स्थानीय उपभोक्ता विदेशी वस्तुओं की तरफ बढ़ जाता है |
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष व्यापारी नेता भूपेश बब्बर ने अपने संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप बंसल के आह्वान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम दिए गए ज्ञापन में स्थानीय उद्योग और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ठोस नीति लाने व ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह आगे बढ रही विदेशी कंपनियों पर अंकुश लगाएं |