दीपावली पर हर घर रोशन करने को तेज हुए कुम्हारों के चाक दीये, खिलौने और बर्तन बनाकर दीपावली पर हर घर को प्रजापति समाज करेगा रोशन
शामली। दीपावली पर्व नजदीक आते ही प्रजापति समाज (कुम्हार) दिन-रात चाक चलाकर मिट्टी के दीप व पूजन के लिए विभिन्न प्रकार के बर्तन तैयार करने पर लगा हुआ है। अािर्थक तंगी से बचने व परिवार के खर्च को चलाने के लिए उनका अधिकांश समय चाक पर ही बीत रहा है। आजादी के 75 वर्षाे बाद भी प्रजापति समाज अपनी पुरानी व्यवस्था के माध्यम से सभी परिवार पूरे वर्षभर के भरण पोषण का इंतजाम करने में जुटा है। सरकार द्वारा प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा रखा है। ऐसे में मिट्टी के दिए और अन्य बर्तनों के दिन लौट रहे है। दीपों का पर्व दीपावली 24 अक्तूबर को है। जहां पूरे देश में पर्व की तैयारियां जोरों-शोरों के साथ चल रही है। इन सभी के बीच एक समाज ऐसा भी है जो हम सभी के घरों को रोशन करने का काम करता है। जिसे प्रजापति समाज भी कहते है। कच्ची मिट्टी को तैयार कर उसे अलग-अलग रूपों में ढालकर दीपावली में हम सबके घरों को रोशन करने वाले दीपों को तैयार करने में कितनी मेहनत की जाती है इसका अंदाजा शायद मिट्टी से बने खिलौने खरीदने वालों को नहीं रहता है। इन दिनों दीपावली पर्व को लेकर प्रजापति समाज का चाक दिन रात खिलौनों से लेकर मिट्टी के दीयों को बनाने के लिए दिन रात अपना पसीना बहाकर उसे तराशते हुए तैयार कर रहा है। दशहरा पर्व से लेकर करवाचौथ, अहोई और दीपावली पर्व तक ही इनका धंधा जोरों पर रहता है। मिट्टी से बने खिलौने, दीएं, करवें और हांडी इन पर्वाे पर अधिकतर बिकती है। प्रजापति समाज के लोगों का कहना है कि इस बार कोरोना महामारी के चलते आमदनी के नाम पर सिर्फ खर्चा ही बना रहा। वर्षाे पूर्व मिट्टी के बर्तनों की मांग काफी होती थी जिससे घर का भरण पोषण होता था। लेकिन हाल के दिनों में मिट्टी के बर्तनों के प्रति रूझान कम हुआ है। उनका कहना है कि जब से बाजारों में प्लास्टिक, फाइबर के बर्तन आए है तब से उनका धंधा चौपट सा हो चला है। बहुत से परिवार तो इस काम को छोडकर दूसरे कामों में लग गए है। लेकिन अब दीपावली त्यौहार पर अच्छी बिक्री होने की उम्मीद बनी है।