कैराना पालिकध्यक्ष प्रत्याशी के ढोल नगाड़ों से पड़ोसी परेशान, पलायन करने को हो गए मजबूर
आशियाना को विरान कर छोड़ गए पड़ोसी: सूत्र
कैराना। नगर निकाय चुनाव नवंबर व दिसंबर माह में होने की संभावना है। लेकिन, पालिकाध्यक्ष प्रत्याशियों ने अब से पहले से ही लगभग 6 माह से चुनावी कार्यालय खोलकर चुनावी मैदान में अपनी दावेदारी पेश करने पर कायम है। सूत्रों के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्बे के एक भावी पालिकाध्यक्ष प्रत्याशी जो कि दबंग प्रत्याशी बताया जाता है। उनकी, दबंगता का आलम खुलेआम देखने को मिल सकता है। सूत्र बताते हैं वर्तमान पालिकाध्यक्ष के कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही से लगभग 8 माह पहले वे अपने आवास पर चुनावी कार्यालय खोलकर पड़ोसियों कि नाक में दम करने पर उतारू है। सूत्र बताते हैं कि वह अपने आवास पर चुनावी कार्यालय खोलकर ढोल नगाड़े बजाते हैं जिसकी धुमक से पड़ोसी परेशान हैं। बताया जाता है कि यह दबंग प्रत्याशी गली में 14/15 चारपाई (खाट) डालकर अपने समर्थकों का जमावड़ा गली में लगाता है जिसके कारण पड़ोसियों का निकलना भी मुश्किल हो गया है। पड़ोसियों के मकान के आगे अपने समर्थकों का वाहन भी खड़ा करता है। वही सूत्र बताते हैं कि पड़ोसियों के द्वारा अगर विरोध किया जाता है तो यह अपनी दबंगता दिखाता है। इस प्रत्याशी की दबंगता के चलते कुछ पड़ोसी तो अपना आशियाना विरान कर दूसरे मोहल्ले में जाकर किराए पर रहने लगे। वहीं कई पड़ोसी अपना मकान भी बेचकर उस मोहल्ले से पलायन कर गए। वहीं कहा जाता है कि यह पालिकाध्यक्ष प्रत्याशी एक दबंग किस्म का प्रत्याशी है। जो पिछली योजना में भी अपनी किस्मत चुनावी मैदान में आजमाने के लिए चुनाव लड़ा था लेकिन इसकी दबंगता के चलते इस प्रत्याशी को सर्व समाज का समर्थन न मिलने के कारण सिर्फ इसको इसी की ही बिरादरी का समर्थन मिला था, जिसके बाद यह प्रत्याशी पालिका अध्यक्ष की कुर्सी हासिल नहीं कर पाया था। अब कहा जाता है कि इस पालिका अध्यक्ष प्रत्याशी की दबंगता का आलम यह है कि पड़ोसी ही पलायन करने को मजबूर है। वहीं सूत्र बताते हैं कि इसका व्यापार महाराष्ट्र में है महाराष्ट्र से यह पैसा कमा कर मोहल्ले वासियों सहित कस्बे वासियों के गरीब तत्व की आवाज को दबाने का काम करता है। इसके सामने कोई बोलने को तैयार नहीं पड़ोसी भी चुपचाप पलायन करना पसंद करते हैं। यह हम नहीं कह सकते, यह तो शासन व प्रशासन का खुफिया तंत्र ही जांच कर हकीकत को सामने ला सकता है। लेकिन सूत्र जो बताते हैं इसी के ही आधार पर हम लिख रहे हैं।