प्रेमी और सख्य भक्ति के अद्वितीय सुदामा जैसे को ही भगवान दौडकर गले लगाते हैं : आ राधारमन
संवाददाता मनोज कलीना
बिनौली | गांव के शिव मंदिर में चल रही भागवत कथा के सातवें दिन रविवार को कथावाचक आचार्य राधारमन ने भगवान श्री कृष्ण-सुदामा का प्रसंग सुनाया। इस दौरान श्रद्धालुओं की ओर से जयकारे लगाते हुए पुष्प वर्षा भी की गई।
कथावाचक आ राधारमन महाराज ने कथा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि ,श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां है। द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा ,सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की आगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। यह सब देख और सुन, वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि, आखिर सुदामा में ऐसा क्या है ,जो भगवान दौड़े दौड़े चले आए। बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें राजमहल के अंदर ले गए और अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे।
कहा कि ,सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया के सामने यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है ,वह निर्धन नहीं हो सकता। सुदामा चरित्र का भावपूर्ण सरल वर्णन सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।
इस अवसर पर उपेन्द्र प्रधान, बिटटू शर्मा, अजीत धामा, अरविंद शास्त्री, विनीत धामा, कुलवीर धामा, डॉ निखिल धामा, पियूष जैन, लीलू चौहान, राजेश देवी सुमन शर्मा, ग्राम प्रधान रेनू धामा, शोराज धामा आदि मौजूद रहे।