बडौत में रालोद प्रत्याशी की ऐतिहासिक जीत में सलाह, शकुन और सहधर्मिणी की अहम भूमिका

बडौत में रालोद प्रत्याशी की ऐतिहासिक जीत में सलाह, शकुन और सहधर्मिणी की अहम भूमिका

ब्यूरो डा योगेश कौशिक

बडौत | नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष पद पर रालोद को मिला हर वर्ग और जातीय व मजहबी समर्थन, जिसके चलते भारी अंतर से जीत दर्ज हो सकी, इसका प्रमुख कारण रालोद नेता अश्वनी तोमर ने सलाह, शकुन और सहधर्मिणी को भरपूर सम्मान दिया |

प्रत्याशी चयन को लेकर जब कुछ असंतुष्ट नेता अश्वनी तोमर के नाम पर एतराज करने लगे थे, तब उन्हें सलाह दी गई कि, वे अपनी धर्मपत्नी बबीता तोमर को प्रत्याशी बनाने के लिए प्रयास करें | सूत्रों की मानें तो, उन्हें यह सलाह उनके शुभचिंतक द्वारा दी गई थी, जो उन्हें एकदम पसंद आई और चुपचाप अपनी मुहिम में बदलाव की ठान ली |

कहा तो यह जाता है कि, कोई नेता स्वयं के बदले अपने किसी यारे - प्यारे के लिए ही नहीं संतान के लिए भी चुनाव मैदान से हटने को तैयार नहींं होता, लेकिन रालोद नेता अश्वनी तोमर ने अपनी धर्मपत्नी बबीता तोमर को नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ाने के लिए स्वयं पीछे हटने की ठान ली | उन्होंने जब अपनी पत्नी को अपनी मंशा बताई ,तो आदर्श पत्नी होने के नाते बबीता तोमर ने भी सहधर्मिणी होने का मार्ग अपनाया |

 इस दौरान हाईकमान तक उनका बायोडाटा भेजा गया, तो हर कोई उसे पढकर अपनी सहमति देने को तैयार हो गया | उनके द्वारा जिला पंचायत सदस्य रहते हुए अपने वार्ड में किए गए विकास कार्यों की गुणवत्ता तथा लगातार क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाते कराए गए शिलान्यास और उद्घाटन समारोह तथा समस्याओं के समाधान के लिए खुद ब खुद प्रयास और सफलता मिलने पर ग्रामीणों व सामाजिक संगठनों के प्रशंसा पत्रों व समारोहों की लंबी फेहरिस्त पर कहीं भी इफ एंड बट के बदले प्रत्याशी बनाए जाने की मुहुर लग गई |

सूत्र बताते हैं कि, नामांकन करने से लेकर चुनाव अभियान तक की व्यवस्थित मुहिम के संचालन हेतु इस बार शकुन विचार भी किया गया, जिसके चलते दिल्ली- सहारनपुर रोड पर बने तथा आवागमन के लिए सुविधा संपन्न रालोद कार्यालय का इस्तेमाल न करते हुए अपने आवास को ही आफिस में तब्दील कर दिया | सूत्रों ने बताया कि, इसका प्रमुख कारण है कि, आधा दर्जन से भी अधिक चुनावों में रालोद प्रत्याशी के लिए बनते रहे इस चुनाव कार्यालय के खाते में जीत दर्ज नहींं हो सकी थी, इसीलिए उन्होंने शकुन विचार करते हुए अपने आवास को ही चुनाव कार्यालय बनाया तथा इस दौरान नेताओं का आगमन और चुनावी मुहिम का मुख्य केंद्र उनका आवास ही रहा और मतगणना होने पर मिले नतीजे से हर कोई ऐतिहासिक जीत के जश्न में मशगूल नजर आया |