108 तरह के पापों को नष्ट कर 20 विशेष गुणों की प्राप्ति का साधन है सिद्धचक्र महामंडल विधान : प्रदीप जैन
संवाददाता मो जावेद
छपरौली | कस्बे में स्थित श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान के पांचवे दिन श्रद्धालुओं ने श्रीजी के समक्ष चढाए 512 अर्घ्य , इसके साथ ही की शांतिनाथ भगवान की पूजा-अर्चना।
नगर में धार्मिक आयोजन के दौरान शुक्रवार सुबह बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे , वहीं धर्म सभा में पंडित प्रदीप जैन शास्त्री जबलपुर वालों ने कहा कि, सिद्धचक्र महामंडल विधान के आयोजन में सिद्धों की आराधना करने व सिद्ध भगवान के गुणगान का अवसर हमें प्राप्त होता है। सिद्ध भगवान तीनों कर्म मलों से रहित हो गए हैं। देह से रहित अनंत काल तक आनंद में विराजते हैं।
उन्होंने कहा कि ,हम अपने दैनिक जीवन में मन, वचन और काय से करना ,कराना एवं करने वाले की अनुमोदन करना, क्रोध के कारण, मान के कारण, माया के कारण, लोभ के कारण, किसी कार्य को करने का विचार करना, कार्य करने के साधन जुटाना एवं कार्य को प्रारंभ करना इस प्रकार से कुल 108 प्रकार के पापों का आश्रव करते रहते हैं , जबकि सिद्ध परमेष्ठी इन 108 प्रकार के पापों से रहित होते हैं। हम भी अपने इन 108 पापों को नष्ट कर 20 विशेष गुणों को प्राप्त कर सकें। इसी कामना के साथ महामंडल विधान में पांचवे दिन 512 अर्घ्य से सिद्ध भगवान की आराधना की गई । शाम के समय महिलाओं द्वारा भगवान पार्श्वनाथ की महा आरती की गई और भक्ति संगीत का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राजेश जैन प्रदुमन जैन जिनेंद्र जैन सत्येंद्र जैन दीपक जैन गौरव जैन मोनू जैन आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।