रंगमा रंगमा रंग गयो रे, गुरु थारा ही रंग मे रंग गयो रे, शिविर मे साधकों पर चढा भक्ति का रंग

रंगमा रंगमा रंग गयो रे, गुरु थारा ही रंग मे रंग गयो रे, शिविर मे साधकों पर चढा भक्ति का रंग

संवाददाता आशीष चंद्रमौली

बडौत।श्रावक संयम साधना संस्कार शिविर में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सानिध्य मे 1000 से अधिक जैन श्रद्धालु भक्ति के रंग मे रंगे नजर आये। ऋषभ सभागार मे हर तरफ पीत वस्त्रधारी इंद्र इंद्राणी मौजूद रहे।

अध्यात्म योगी, चर्या शिरोमणि, आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में, श्रावक संयम साधना संस्कार शिविर मे पूरे भारत से नगर में आये हजारों जैन श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से संयमपूर्वक साधना की।भोपाल से पधारे पं कमल कमलांकुर और पं श्रेयांस जैन के निर्देशन में जिनेंद्र भगवान की मनोहारी प्रतिमा का प्रासुक जल से अभिषेक किया गया। सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य सुनील कुमार संयम जैन को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री द्वारा बोले गए दिव्य मंत्रो के मध्य शांतिधारा का सौभाग्य राजेश जैन भारती और संजय नवरतन जैन निवाई वालो को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन डॉक्टर मनोज जैन गंगापुर सिटी और शास्त्र भेंट इंदौर के जैन समाज द्वारा किया गया। पूजन सामग्री श्री अशोक कुमार बिजरोल वालो के द्वारा दी गयी।

दोपहर मे श्रावक प्रतिक्रमन,सामायिक और इष्टोपदेश ग्रंथ की कक्षा हुई।शाम को तत्वार्थ सूत्र प्रवचन, आचार्य भक्ति और आरती हुई।संगीतकार नंदन जैन मध्य प्रदेश ने अपने भजनों से सभी को मंत्र मुग़द् कर दिया।शिविर मे धनेंद्र जैन,प्रवीण जैन, सुदेश जैन, अरविंद मुन्ना सर्राफ,प्रदीप जैन, मुकेश जैन, राजकुमार जैन, धनपाल जैन, अजय जैन, कमल जैन, धन कुमार जैन,सुनील जैन, पवन जैन, आनंद जैन, अमित जैन, अंकुर जैन, सुरेंद्र जैन,अतुल जैन आदि उपस्थित रहे। 

श्री अजितनाथ मन्दिर मंडी में अजितनाथ विधान का आयोजन किया गया। जिसके सौधर्म इंद्र का सौभाग्य जिनेंद्र जैन को प्राप्त हुआ।पं रजनीश शास्त्री द्वारा नवदेवता पूजन, सोलहकारन पूजन, पारसनाथ भगवान पूजन औरअजितनाथ विधान की पूजन कराई गयी।शाम को जेएसवी किड्स एकेडमी के बच्चों के द्वारा नृत्य का रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।पुरस्कार वितरण अनिल कुमार गौरव जैन द्वारा किया गया।कार्यक्रम सुभाष जैन, अशोक जैन, सुधीर जैन, वरदान जैन,हंस कुमार जैन,राकेश जैन आदि उपस्थित थे। बड़ा जैन मन्दिर मे इंद्र इंद्रणियो द्वारा तेरह दीप महामंडल विधान की अर्चना की गई।