श्रीराम दरबार, शिव परिवार, देवी लक्ष्मी व सरस्वती की मूर्तियों की प्राणप्रतिष्ठा से पूर्व नगर परिक्रमा
••भव्य शोभायात्रा व आकर्षक झांकियों पर नगर में पुष्प वर्षा व जोरदार स्वागत
•• मंत्री, सांसद व पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों सहित गणमान्य रहे यात्रा में शामिल
••विद्यालय परिसर में आने पर हर किसी के भीतर से चली जाएगी नकारात्मक ऊर्जा : उपेंद्र तोमर
ब्यूरो डॉ योगेश कौशिक
बड़ौत। धर्म नगरी में भगवान श्री राम दरबार, शिव
परिवार तथा लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमाओं को कराई गई नगर परिक्रमा। इस दौरान भव्य शोभायात्रा में नागरिकों व गणमान्य श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा, नमन, जयघोष करते हुए अपनी भावनाओं का प्रदर्शन किया। विभिन्न स्थानों पर शोभायात्रा में शामिल लोगों के लिए जलपान की भी व्यवस्था की गई थी।इस दौरान बच्चों द्वारा तैयार कर निकाली गई धार्मिक झांकियों का भी आकर्षण बना रहा।
जय श्रीराम के जय घोष के साथ भगवान राम को तिलक करते हुए श्रीराम इंटर कॉलेज के डायरेक्टर उपेंद्र चौधरी ने सभी श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया और कहा, इस अवसर पर आत्मीय आनंद की अनुभूति हो रही है।शोभायात्रा नगर के पंचवटी शिव मंदिर से प्रारंभ होकर नगर के मुख्य बाजार दिल्ली बस स्टैंड बडोली रोड बड़का रोड सराय रोड होती हुई श्रीराम इंटर कॉलेज में प्रवेश कर गई ,जहां शिक्षकों, अभिभावकों सहित क्षेत्र के गणमान्यों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
श्री राम इंटर कॉलेज परिसर में निर्मित भव्य मंदिर में प्राणप्रतिष्ठा से पूर्व लगभग अर्धशतक पालियों में यज्ञ संपन्न कराया गया तथा डायरेक्टर उपेंद्र चौधरी ने मंदिर पर ध्वजारोहण किया तथा विद्वान पुजारी द्वारा प्राणप्रतिष्ठा कराये जाने के साथ ही 101 कन्याओं का पद प्रक्षालन करते हुए भोजन ग्रहण कराया गया ।
इस मौके पर कॉलेज के प्रधानाचार्य राजीव तोमर , निदेशक उपेंद्र चौधरी पूजा चौधरी मंदिर के पुजारी एवं मूर्ति प्राणप्रतिष्ठा विशेषज्ञ कुंदन भारद्वाज रितु देवी विशु चौधरी खुशी चौधरी के अलावा सांसद डॉ सत्यपाल सिंह, राज्यमंत्री केपी मलिक, नगर चेयरपर्सन प्रतिनिधि अश्विनी तोमर के अलावा बड़ी संख्या में जनपद के शिक्षक, प्रधानाचार्य, गणमान्य,श्रद्धालु मौजूद रहे।प्राणप्रतिष्ठा से रोमांचित व द्रवित उपेंद्र चौधरी ने कहा कि, विद्यालय में दिव्य ऊर्जा मिलने से बच्चों सहित प्रांगण में आने वाले हर किसी को विशेष अनुभूति, प्रेरणा और सफलता मिलने का एहसास होगा, साथ ही ज्ञान के साथ विद्या का सामंजस्य होने से आनंददायी विनम्रता स्वत: आएगी।