देवी कूष्मांडा के भजनों पर जमकर झूमे श्रद्धालु, किया माँ के स्वरूप का गुणगान
संवाददाता नीतीश कौशिक
बागपत।चैत्र नवरात्र के चौथे दिन मां भगवती के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा की सोलह प्रकार से पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान भगवती को प्रसन्न करने के लिए महिलाओं ने उन्हें सेब, केशर तथा सिन्दूर चढ़ाया। काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में पहुंचे और उन्होंने भजन-कीर्तनों के साथ देवी का गुणगान किया। श्रद्धालुओ ने माँ भगवती के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की और वह देवी कुष्मांडा के भजनों पर जमकर झूमे।
इस अवसर पर बताया गया कि,देवी कूष्मांडा की पूजा करते समय मन में चंचलता नहीं रहनी चाहिए। पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। माता कूष्मांडा की उपासना करने से शोक, ताप व भय आदि से मुक्ति मिलती है तथा आयु, बल, यश तथा आरोग्यता की प्राप्ति होती है। ये अष्टभुजा देवी के नाम से प्रसिद्ध है। इनकी सात भुजाओं में कमण्डल, धनुषबाण, कमल पुष्प, अमृत से भरा कलश, चक्र एवं गदा सुशोभित है। इनके आठवें हाथ में आठों सिद्धी व नव निधि देने वाली जप माला है। इनका वाहन सिंह है। इनकी पूजा से सभी बाधाएं विलुप्त हो जाती है।